पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की मुखिया महबूबा मुफ्ती का सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी. इस पर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि यह पूरा घटनाक्रम निराश करने वाला है.
मुफ्ती ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि राज्यपाल को पहले सरकार बनाने की संभावनाओं पर गौर करना चाहिए था. आदर्श स्थिति यह होती कि वह सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते.
उन्होंने आगे कहा कि अगर सज्जाद लोन अपने साथ 18 विधायकों के होने का दावा कर रहे हैं तो इसका मतलब खरीद-फरोख्त हो रही है. हम आगे की संभावनाओं को तलाशेंगे. एक लोकतंत्र में ऐसे फैसलों की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
वहीं, कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने इस घटनाक्रम पर कहा है कि बीजेपी नहीं चाहती है कि उसके अलावा कोई और सरकार बनाए. उन्होंने आगे कहा कि अब राज्य में तीन से चार महीनों में चुनाव हो जाने चाहिए, क्योंकि हम नहीं चाहते कि वहां पर राज्यपाल शासन लागू रहे. उन्होंने कहा कि बीजेपी का तानाशाही रवैया एक बार फिर से सबके सामने आ गया है. आजाद ने कहा कि अभी पार्टियों में बात भी नहीं हुई थी और विधायकों की बैठक बुलाई गई थी लेकिन बीजेपी नहीं चाहती जम्मू कश्मीर में कोई सरकार बने.
गुलाम नबी आजाद ने इस बात को स्वीकारा कि 23 नवंबर को वहां कांग्रेस के विधायकों की बैठक होने वाली थी जिसमें हम सरकार बनाने की संभावनाओं पर विचार करने वाले थे. क्योंकि तीन चार महीनों से ऐसी बातें चल रही थी कि वहां पर सरकार बनाने की संभावनाओं को टटोला जाए. लेकिन पेंच यहां फंस रहा था कि इस तरह के हालात में ना तो कांग्रेस का कोई नेता मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार था ना ही नेशनल कॉन्फ्रेंस से कोई मुख्यमंत्री बनने के लिए राजी हो रहा था और ना ही पीडीपी अपना मुख्यमंत्री वहां चाह रही थी. इसमें वहां सरकार बनना संभव नहीं हो पा रहा था. हां रिबेल जरूर वहां चाह रहे थे कि सरकार बने. बीजेपी को जैसे ही पता चला कि सरकार बनने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है उन्होंने आनन-फानन में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया.
इधर, एनसी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट में लिखा, 'जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस पांच महीनों से लगातार विधानसभा भंग करने की मांग कर रही थी. इसे संयोग नहीं मान सकते कि इधर महबूबा मुफ्ती सरकार बनाने का दावा पेश करने जा रही थीं और उधर राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी.'
JKNC has been pressing for assembly dissolution for 5 months now. It can’t be a coincidence that within minutes of Mehbooba Mufti Sahiba letter staking claim the order to dissolve the assembly suddenly appears.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) November 21, 2018
बता दें कि बुधवार शाम को महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया था. इसके कुछ ही देर बाद राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी. राज्य में पीडीपी और बीजेपी का गठबंधन टूटने के बाद से राज्यपाल शासन लागू था. इससे पहले, बुधवार को महबूबा ने दावा किया था कि उनके पास कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का समर्थन है.
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र रैना ने कहा है कि बीजेपी राज्यपाल द्वारा उठाए गए इस कदम का स्वागत करती है. एक बार फिर से नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी जम्मू-कश्मीर में साजिश रच रही थी जो जम्मू और लद्दाख के लिए अन्याय होता. क्या वे चुनावों से पहले गठबंधन करेंगे?
BJP welcomes the decision taken by the J&K Governor. Once again, NC, Congress & PDP hatched a conspiracy in Jammu & Kashmir that would have done injustice to Jammu and Ladakh. Will they form alliance before elections?: BJP State president Ravinder Raina on J&K assembly dissolved pic.twitter.com/0RxpoeWguy
— ANI (@ANI) November 21, 2018