जम्मू-कश्मीर विधानसभा (Jammu Kashmir Assembly) में वक्फ कानून को लेकर आज यानी मंगलवार, 8 अप्रैल को एक बार फिर भारी गहमागहमी और नारेबाजी हो रही है. सदन में विधायकों के बीच हाथापाई देखी गई. हंगामे के बीच स्पीकर ने सदन की कार्यवाही को आधे घंटे के लिए स्थगति कर दिया.
इसके साथ ही, पीडीपी ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नया प्रस्ताव पेश किया. प्रस्ताव में केंद्र सरकार से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को निरस्त करने की गुजारिश की गई है.
'हिंदुस्तान के 24 करोड़ मुसलमानों...'
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "वक़्फ़ का मुद्दा यकीन से परे है, यह हिंदुस्तान के 24 करोड़ मुसलमानों के हक़, यक़ीन और सम्मान पर सीधा हमला है. एकमात्र मुस्लिम बहुल इलाक़ा होने के नाते जम्मू-कश्मीर को इस मौके पर आगे आना चाहिए और अपने लोगों के हक़ की हिफाज़त करनी चाहिए."
उन्होंने आगे कहा कि इसके मद्देनजर पीडीपी ने इस अहम मुद्दे को संबोधित करते हुए एक नया प्रस्ताव पेश किया है. सरकार को यह तय करने के लिए इसे गंभीरता से लेना चाहिए कि लोगों की आवाज सुनी जाए. मैं मुख्यमंत्री, विधानसभा और जम्मू-कश्मीर सरकार से राजनीतिक संकल्प दिखाने और अपने लोगों के अधिकारों पर किसी भी तरह के अतिक्रमण के खिलाफ मजबूती से खड़े होने की गुजारिश करती हूं.
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सोमवार को भी हुआ था हंगामा, फाड़ी गई थी बिल की कॉपी
जम्मू कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को भी सदन की कार्यवाही शुरू होते ही एनसी और पीडीपी के विधायकों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया. पीपीडी विधायक वाहिद उर्ररहमान ने वक्ट एक्ट के खिलाफ प्रस्ताव रखा. इसके बाद हंगामा और नारेबाजी शुरू हो गया.
सोमवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता तनवीर सादिक ने मांग की कि वक्फ बिल पर उनके स्थगन प्रस्ताव को मंजूरी दी जाए. लेकिन बीजेपी के विधायक इसका विरोध किया. इस बीच विधानसभा में वक्फ बिल को लेकर जमकर नारेबाजी हुई. तनवीर सादिक ने वक्फ बिल पर चर्चा की मांग की. नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक विधानसभा के वेल में पहुंचकर नारेबाजी किए. बीजेपी के विधायक भी वेल में पहुंच गए. इस बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक हिलाल लोन और सलमान सागर ने वक्फ बिल की कॉपी फाड़ दी.
विधानसभा स्पीकर अब्दुल रहीम राठेर ने कहा, "मैंने नियमों को देखा है. नियम 56 और नियम 58 के मुताबिक, यह कहा गया है कि कोई भी ऐसा मामला जो कोर्ट में है, स्थगन के लिए लाया जा सकता है. चूंकि, यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है और मुझे इसकी एक कॉपी मिली है, लेकिन नियम साफ तौर से कहता है कि हम स्थगन प्रस्ताव के जरिए चर्चा नहीं कर सकते.