जम्मू-कश्मीर के जिला विकास परिषद के चुनाव नतीजों से बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. जम्मू के साथ-साथ कश्मीर घाटी में पहली बार बीजेपी का भगवा रंग चढ़ा और मुस्लिम बहुल इलाके में पार्टी तीन सीटें जीतने में सफल रही. इसके बावजूद डीडीसी चुनाव नतीजों से बीजेपी के जम्मू-कश्मीर में तीन बड़े सियासी झटके लगे हैं. जम्मू-कश्मीर में 370 की बहाली के नाम पर बना गुपकार गठबंधन सबसे ज्यादा सीटें जीतने के साथ-साथ बीजेपी के मजबूत दुर्ग कहे जाने वाले जम्मू क्षेत्र में भी सेंधमारी करने में कामयाब रहा. इतना ही नहीं घाटी के स्थानीय दलों का एकजुट होना बीजेपी के लिए सियासी तौर पर किसी झटके से कम नहीं है.
जम्मू में गुपकार की घुसपैठ
जम्मू बीजेपी का मजबूत दुर्ग माना जाता है, क्योंकि यहां की बड़ी आबादी हिंदू और सिख समुदाय की है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जम्मू क्षेत्र की दोनों सीटें बीजेपी जीतने में कामयाब रही थी. राज्य की कुल 280 जिला विकास परिषद सीटों में से जम्मू क्षेत्र में 140 सीटें आती हैं, जिनमें से बीजेपी महज 71 सीटें ही जीत सकी. वहीं, गुपकार गठबंधन कश्मीर ही नहीं बल्कि जम्मू इलाके की सीटें भी कब्जाने में कामयाब रहा है. गुपकार गठबंधन की अगुवाई करने वाले फारुक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉफ्रेंस ने जम्मू क्षेत्र की 25 सीटों पर जीत दर्ज की है. इसके अलावा एक सीट पीडीपी को भी जम्मू इलाके की मिली है.
कांग्रेस भी जम्मू क्षेत्र की 17 सीटें जीतने में कामयाब रही है जबकि दो सीटें पैंथर्स पार्टी और एक बसपा ने जीती है. जम्मू इलाके की सीटों पर गुपकार गठबंधन का ऐसे समय में जीतना जब राज्य से 370 को खत्म कर दिया गया है और राज्य को दो हिस्सा में बांट दिया है, ये बीजेपी के लिए किसी सियासी झटके से कम नहीं है, क्योंकि डीडीसी चुनाव को भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव का लिटमस लेस्ट माना जा रहा है.
घाटी में NC-PDP का डंका
कश्मीर घाटी मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां 140 डीडीसी की सीटें हैं. घाटी में पीडीपी और नेशनल कॉफ्रेंस सहित गुपकार गठबंधन में शामिल पार्टियों को जबरदस्त जीत मिली है. वहीं, कश्मीर की इन 140 सीटों में से बीजेपी ने 53 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से महज तीन सीटें ही जीत सकी है जबकि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से लेकर मुख्तार अब्बास नकवी और अनुराग ठाकुर सहित तमाम केंद्रीय मंत्रियों ने चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी थी. इसके बाद भी नेशनल कॉफ्रेंस ने कश्मीर रीजन की 42 सीटें जीती है और 26 सीटों पर पीडीपी को जीत मिली है. इसके अलावा बाकी सहयोगी दलों को सीटें मिली हैं.
डीडीसी चुनाव के बीच ही राज्य में गुपकार गठबंधन को लेकर खासी गहमा-गहमी रही. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित बीजेपी के तमाम नेताओं ने इसे गुपकार गैंग बताया था और कहा था कि कांग्रेस और गुपकार गैंग जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद और उथल-पुथल वाले दौर में वापस ले जाना चाहता है. इसके बाद भी घाटी की जनता ने बीजेपी के बजाय नेशनल कॉफ्रेंस और पीडीपी सहित स्थानीय पार्टी को ही खास तवज्जो दी है.
370 के खिलाफ एकजुट और मजबूत हुआ विपक्ष
जम्मू-कश्मीर के डीडीसी चुनाव के नतीजे में जिस तरह से गुपकार गठबंधन को सीटें मिली हैं, उससे नेशनल कॉफ्रेंस और पीडीपी नेताओं के हौसले काफी बुलंद हैं. इससे जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को बहाल करने के एजेंडे पर स्थानीय पार्टियों का एकजुट होकर गुपकार गठबंधन की एकता को मजबूती मिलने की संभावना दिख रही है. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा, 'नतीजों ने साफ कर दिया है कि बड़ी संख्या में राज्य के लोगों ने गुपकार गठबंधन को वोट दिया है. उन्होंने ऐसा करके बता दिया है कि वे राज्य के विशेष दर्जे को लौटाने के समर्थन में हैं.'
इससे साफ जाहिर होता है कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर में विपक्षी एकजुटता को मजबूती मिल सकती है, क्योंकि गुपकार गठबंधन का एजेंडा एक जैसा है. जम्मू-कश्मीर की सियासत में बीजेपी के लिए विपक्षी दलों की एकजुटता भविष्य में बड़ी चुनौती खड़ा कर सकती है.