Jammu-Kashmir Delimitation: जम्मू-कश्मीर में परिसीमन को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है. परिसीमन आयोग ने जम्मू में 6 और कश्मीर घाटी में 1 सीट बढ़ाने की सिफारिश की है. अगर ऐसा हो जाता है तो जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 90 सीट हो जाएंगी.
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के लिए गठित परिसीमन आयोग ने अपनी सिफारिशें सरकार को भेज दी हैं. बताया जा रहा है आयोग ने जम्मू में 6 और कश्मीर में 1 विधानसभा सीट बढ़ाने की सिफारिश की है. इसके साथ ही 9 सीटें अनुसूचित जनजाति और 6 अनुसूचित जाति 9 के लिए रखने का प्रस्ताव दिया है.
अब 90 विधानसभा सीट होंगी
जम्मू-कश्मीर में पहले 87 विधानसभा सीट होती थी, जिसमें से 4 सीट लद्दाख में थी. क्योंकि लद्दाख अब बिना विधानसभा वाला अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया है, इसलिए वहां कोई सीट नहीं होगी. इस तरह से जम्मू-कश्मीर में अब 83 सीट बचीं हैं. आयोग ने 7 सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. अगर सीटें बढ़तीं हैं तो 90 सीटें हो जाएंगे. इनमें से 43 सीटें जम्मू में और 47 सीटें कश्मीर घाटी में होंगी.
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उमर अब्दुल्ला, सज्जाद लोन ने जताई आपत्ति
हालांकि, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने जम्मू में 6 और कश्मीर में 1 सीट बढ़ाने पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि आयोग ने डेटा की बजाय बीजेपी के राजनीतिक एजेंडा का इस्तेमाल किया.
It is deeply disappointing that the commission appears to have allowed the political agenda of the BJP to dictate its recommendations rather than the data which should have been it’s only consideration. Contrary to the promised “scientific approach” it’s a political approach.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 20, 2021
जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद लोन ने भी इस पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि ये अस्वीकार्य है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जो लोग लोकतंत्र पर भरोसा करते हैं, उनके लिए ये शॉक है.
The recommendations of the delimitation commission are totally unacceptable. They reek of bias. What a shock for those who believe in democracy.
— Sajad Lone (@sajadlone) December 20, 2021
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने भी इस पर आपत्ति जताई है. पीडीपी के प्रवक्ता सुहैल बुखारी ने कहा कि पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती पहले ही दिन से से कह रहीं हैं कि आयोग बीजेपी का एजेंडा पूरा करने का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि जम्मू में 6 और कश्मीर में 1 सीट बढ़ाने का प्रस्ताव कहीं से भी जस्टिफाय नहीं है. बुखारी ने कहा कि पीडीपी और जम्मू-कश्मीर की जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी.
आखिरी बार 2014 में हुए थे चुनाव
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे. उस चुनाव में पीडीपी ने 28, बीजेपी ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस 12 सीटें जीती थीं. चुनाव के बाद बीजेपी और पीडीपी ने गठबंधन कर सरकार बनाई थी. 2014 में पीडीपी के मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने थे. जनवरी 2016 में मुफ्ती मोहम्मद का निधन हो गया था. उनके बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बनीं. हालांकि, ये गठबंधन ज्यादा नहीं चला और जून 2018 में बीजेपी ने अपना समर्थन वापस ले लिया. बाद में विधानसभा को भंग कर दिया गया.
जम्मू-कश्मीर में क्यों हो रहा है परिसीमन?
दरअसल, 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. क्योंकि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भी है, इसलिए यहां चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था.
इस आयोग को इसी साल 5 मार्च तक अपनी रिपोर्ट देनी थी. लेकिन कोरोना महामारी के चलते ऐसा नहीं हो पाया. जिसके बाद आयोग का कार्यकाल एक साल के बढ़ा दिया गया था. इस आयोग को 6 मार्च 2022 तक रिपोर्ट देनी है. ये परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर हो रहा है. जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 1995 में परिसीमन हुआ था.