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J-K delimitaion: परिसीमन ड्राफ्ट पर गरमाई जम्मू-कश्मीर की सियासत, आज गुपकार की अहम बैठक

बैठक में परिसीमन ड्राफ्ट को लेकर चर्चा की जाएगी और आगे की रणनीति पर मंथन होगा. वैसे इस बैठक से पहले ही एनसी, पीडीपी और दूसरी स्थानीय पार्टियों ने साफ कर दिया है कि उन्हें मौजूदा परिसीमन ड्राफ्ट किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है.

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परिसीमन ड्रॉफ्ट के आने से गरमाई जम्मू-कश्मीर की सियासत (पीटीआई)
परिसीमन ड्रॉफ्ट के आने से गरमाई जम्मू-कश्मीर की सियासत (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जम्मू-कश्मीर के दलों ने किया प्रस्ताव का विरोध
  • बीजेपी पर जम्मू-कश्मीर को बांटने का आरोप

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन (Jammu Kashmir delimitation) को लेकर लंबे समय से काम चल रहा है. अब जो परिसीमन का ड्राफ्ट सामने आया है, उसके मुताबिक जम्मू को 6 अतिरिक्त सीटें दी जाएंगी तो वहीं कश्मीर में भी एक सीट की बढ़ोतरी हो जाएगी. इसके अलावा 9 सीटें ST और 7 सीटें SC के लिए आरक्षित रखी जाएंगी. लेकिन इस ड्राफ्ट रिपोर्ट के सामने आते ही बवाल खड़ा हो गया है. घाटी की तमाम बड़ी पार्टियां इसे बीजेपी का एजेंडा बता रही हैं. इसी कड़ी में आज सुबह 11.30 बजे एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला के घर पर गुपकार की अहम बैठक बुलाई गई है.

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परिसीमन ड्राफ्ट पर जबरदस्त बवाल

बैठक में परिसीमन ड्राफ्ट को लेकर चर्चा की जाएगी और आगे की रणनीति पर मंथन होगा. वैसे इस बैठक से पहले ही एनसी, पीडीपी और दूसरी स्थानीय पार्टियों ने साफ कर दिया है कि उन्हें मौजूदा परिसीमन ड्राफ्ट किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है. उनके मुताबिक बीजेपी सिर्फ जम्मू-कश्मीर को जाति-धर्म के नाम पर बांटना चाहती है. वो सिर्फ अपना सियासी फायदा निकालना चाहती है.

इस बारे में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने तल्ख टिप्पणी की है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि परिसीमन आयोग को लेकर मेरे मन में जो भी आशंकाएं थीं, वो गलत नहीं थीं. जनगणना को नजरअंदाज कर ये लोग सिर्फ लोगों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहते हैं. इस आयोग का गठन ही सिर्फ बीजेपी के राजनीतिक हित साधने के लिए किया गया है. लोगों को जाति-धर्म के नाम पर बांटने पर जोर दिया जा रहा है. सरकार की साजिश है कि ऐसा कर जम्मू-कश्मीर में किसी तरह अपनी सरकार बना ली जाए और 2019 में लिए गए असंवैधानिक फैसले को सही बताया जाए.

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सरकार को घेरने के लिए गुपकार का मंथन

पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इस ड्राफ्ट पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि जम्मू को 6 सीटें देना और कश्मीर को सिर्फ एक सीट का प्रस्ताव 2011 की जनगणना के साथ न्याय नहीं करता है. ये देख निराशा होती है कि आयोग ने राजनीतिक एजेंडा पर ज्यादा जोर दिया है. बीजेपी के सुझावों को माना गया है और असल डेटा को नजरअंदाज किया गया. ये एक साइंटिफिक अप्रोच नहीं बल्कि पॉलिटिकल अप्रोच बन कर रह गया है.

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद लोन ने भी इस पर आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा कि ये अस्वीकार्य है. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जो लोग लोकतंत्र पर भरोसा करते हैं, उनके लिए ये शॉक है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने भी इस पर आपत्ति जताई है. पीडीपी के प्रवक्ता सुहैल बुखारी ने कहा कि पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती पहले ही दिन से से कह रहीं हैं कि आयोग बीजेपी का एजेंडा पूरा करने का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि जम्मू में 6 और कश्मीर में 1 सीट बढ़ाने का प्रस्ताव कहीं से भी जस्टिफाय नहीं है.

अब  इस विरोध के बीच ही गुपकार अपनी एक अहम बैठक करने जा रहा है. कहा जा रहा है कि सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी करने के लिए किसी एक रणनीति पर सहमति बन सकती है. इस मुद्दे को लेकर दूसरे दलों को भी साथ लाया जा सकता है. ऐसे में आने वाले दिनों में घाटी में सियासत का पारा खासा हाई रहने वाला है.

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