जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को खत्म कर दिया गया है. राज्य सरकार ने शुक्रवार को नजरबंदी खत्म करने का आदेश जारी किया. अनुच्छेद-370 हटने के बाद यानी 5 अगस्त को फारूक अब्दुल्ला को हाउस अरेस्ट किया गया था. इसके बाद 15 सितंबर से उन्हें नजरबंद कर दिया गया था. करीब 6 महीने बाद सरकार ने उनकी नजरबंदी को खत्म किया है. हालांकि, वह अभी भी हाउस अरेस्ट हैं.
दरअसल, फारूक अब्दुल्ला को 5 अगस्त से हाउस अरेस्ट में रखा गया था, लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ पिछले साल 15 सितंबर को पब्लिक सेफ्टी एक्ट का केस दर्ज किया था. इसके बाद उन्हें तीन महीने के लिए नजरबंद कर दिया गया था. तीन महीने की मियाद 15 दिसंबर को खत्म होने वाली थी, उससे दो दिन पहले यानी 13 दिसंबर को उनकी नजरबंदी 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई थी. अब उनकी नजरबंदी को खत्म करने का फैसला किया गया है.
Govt issues orders revoking detention of Dr Farooq Abdullah pic.twitter.com/tcBzkwY7dI
— Rohit Kansal (@kansalrohit69) March 13, 2020
उमर और महबूबा अभी भी हिरासत में
फारूक अब्दुल्ला के अलावा उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, आईएएस अफसर से नेता बने शाह फैसल समेत कई नेताओं पर पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था. इसके बाद सभी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया. अभी उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, शाह फैसल समेत कई नेता हिरासत में हैं.
PSA के तहत 396 लोगों पर कार्रवाई
कुछ दिन पहले ही गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया था कि जम्मू-कश्मीर में 396 लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा था कि हिरासत में लिए गए कुल 451 में से 396 लोगों को पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया है. जिन लोगों को पीएसए के तहत हिरासत या नजरबंद रखा गया है, उनमें तीन पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला भी शामिल हैं. इसमें से फारूक को आज रिहा कर दिया गया.
कई दिनों से हो रही थी रिहा करने की मांग
फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग कई दिनों से हो रही थी. इनकी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गई थी. लोकसभा और राज्यसभा में भी यह मामला उठा. इस पर लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जहां तक नेताओं को जेल से रिहा करने का विषय है, मैं यह कहना चाहता हूं हम किसी को एक दिन भी जेल में नहीं रखना चाहते हैं. जब जम्मू एवं कश्मीर का प्रशासन निर्णय करेगा उन्हें (नेताओं) को रिहा कर दिया जाएगा.