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जम्‍मू आपदा: मलबे में अपनों को तलाशती आंखें

जम्मू-कश्मीर में अचानक आई बाढ़ ने सबकुछ तबाह कर दिया है. लोगों का घर टूट गया, सब अपनों से बिछड़ गए, कुछ लोगों की जिंदगी ही चली गई. ऐसे में वहां सुरक्षित लोग अपनी जान बचा रहे हैं, अपनों को ढूंढ़ रहे हैं, तो दूसरे शहरों में रह रहे लोग कश्मीर में परिवार वालों की खबर जानने के लिए परेशान है.

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जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ की तस्वीरें
जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ की तस्वीरें

जम्मू-कश्मीर में अचानक आई बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया है. लोगों का घर टूट गया, सब अपनों से बिछड़ गए, कुछ लोगों की जिंदगी ही चली गई. ऐसे में वहां सुरक्षित लोग अपनी जान बचा रहे हैं, अपनों को ढूंढ़ रहे हैं, तो दूसरे शहरों में रह रहे लोग कश्मीर में परिवार वालों की खबर जानने के लिए परेशान है.

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जम्मू कश्मीर में बारिश कहर बरपा रही है. वहीं, इंदौर में एक भाई-बहन के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे. उसके परिवार के सात लोगों का जम्मू कश्मीर में अता-पता नहीं है. इंदौर के जूना रिसाला में रहने वाले कश्मीरी परिवार के शहजाद की मां, पिता, पांच बहनें और दो भाइयों से पांच दिन से कनेक्ट नहीं हुआ. श्रीनगर के हजरत बल घूमने गए कश्मीरी परिवार अभी तक नहीं मिले हैं. किसी अनहोनी की आशंका लिए शहजाद अपने परिजन की खैर-खबर जानने के लिए थानों के चक्कर काट रहा है, तो कभी टीवी पर टकटकी लगाए अपनों को खोज रहा है. थक हार कर अब भाई बहन खुद ही अपनों की खोज में कश्मीर रवाना हो रहे हैं.

दूसरी ओर, जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ में धौलपुर के 125 लोग फंसे हुए थे, जिनमे से एक युवक आज मौत को मात देकर घर लौट आया है. श्रीनगर में उठे भयानक मंजर के बारे में सोचकर ही सिहर उठने वाले अर्जुन के घर पहुंचने पर उसके परिजन खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं. परिजन ने इस प्राकृतिक तांडव से बचकर अर्जुन के घर लौटने पर भगवान को धन्यवाद दिया है. वहीं, जो अन्य लोग फंसे हुए हैं उनके परिजन घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं. अर्जुन ने बताया कि वह और उसके दो रिश्तेदार श्रीनगर के पीर बाग में एक इमारत में काम कर रहे थे. इसी दौरान एक सितम्बर से 6 सितम्बर तक हुई तेज बारिश से जम्मू कश्मीर में बाढ़ के हालात पैदा हो गए और नदियों का पानी शहरों में घुस गया. वे जिस इमारत में रह रहे थे उस इमारत की चौखट पर 4 सितम्बर को पानी पहुंच गया. खुद को पानी में घिरा देखकर सभी लोग इमारत को खाली करके भागे. इस दौरान 10 किलोमीटर उनको घुटनों एवं कमर तक पानी के अंदर चलना पड़ा. सेना की मदद से बमुश्किल से श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचे जहां उन्होंने 6 दिन बड़ी मुश्किल और आफत में गुजारे, न खाने को भोजन और ना ही पीने को पानी. यहां तक कि सोने-बैठने और उठने तक की भी कोई व्यवस्था नही थी. हजारों की भीड़ हवाई अड्डे पर पड़ी थी. मुश्किल हालातों से निकालकर जैसे ही अर्जुन घर पंहुचा तो पूरे परिवार ने अपने कलेजे के टुकड़े को सीने से लगा लिया. बेटे की याद में 5 दिन से भूखी प्यासी मां ने बेटे अर्जुन को पाकर ईश्वर का लाख-लाख शुक्रिया अदा किया है.

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दूसरी तरफ, इसी गांव की लक्ष्मी अपने लापता नेमीचंद के सही सलामत लौटने की प्रार्थना कर रही है. लक्ष्मी ने बताया कि चार दिन पहले पति से बात हुई थी, उन्होंने खुद को बाढ़ में घिरा हुआ मुश्किल में बताया था. इसके बाद से पति नेमीचंद से कोई संपर्क नहीं हो सका है. ऐसे में परिजन बेबस और लाचारी में आंसू बहाने के लावा कुछ नही कर पा रहे है.

वहीं, धौलपुर के झोर गांव का कुशवाह परिवार की माली हालत खराब होने के चलते इस घर के चार बेटे दीपू कुशवाह, भगवानदास, बालकृष्ण एवं मनोज अपने मां-बाप को सुखी जीवन देने के लिए श्रीनगर के सोपियां में पत्थर की कारीगरी करते थे. इस दौरान जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ के चलते परिजनों का अपने बेटों से 6 सितम्बर तक संपर्क हुआ था उसके बाद अभी तक उनका संपर्क नहीं होने से बच्चों के इंतजार में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हैं. परिजन सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कैसे भी करके उनके बच्चे सही सलामत घर आ जाए.

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