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जम्मू-कश्मीर: महबूबा और उमर को 1 नवंबर तक खाली करने होंगे सरकारी बंगले

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपना सरकारी बंगला खाली करना होगा. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को 1 नवंबर तक अपने आधिकारिक बंगले खाली करने पड़ेंगे. यह आदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत जारी किया गया है. 

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महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो- Aajtak)
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो- Aajtak)

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  • जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम को आदेश
  • खाली करने पड़ेंगे सरकारी बंगले

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपना सरकारी बंगला खाली करना होगा. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को 1 नवंबर तक अपने आधिकारिक बंगले खाली करने पड़ेंगे. यह आदेश जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत जारी किया गया है.

दरअसल, जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया गया है, ऐसे में उन्हें दूसरे राज्यों के पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरह ही सरकारी बंगला खाली करना होगा.

मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब तक जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल सदस्य पेंशन अधिनियम 1984 के तहत सरकारी संपत्तियों और सुख-सुविधाओं का फायदा उठा रहे थे, जिसमें बदलाव के लिए कई बार मांग उठी थी.

वहीं, अधिक भत्तों और विशेषाधिकारों को शामिल करने के लिए इस एक्ट में 1996 तक कई बार संशोधन किया गया. हालांकि, अब अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी होने के बाद ये लाभ 1 नवंबर तक ही मौजूद रहेंगे.

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गुलाम नबी आजाद ने नहीं किया कब्जा

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों में गुलाम नबी आजाद पहले सीएम थे, जिन्होंने सरकारी बंगला खाली कर दिया था. हालांकि, फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती अभी भी सरकारी बंगले में रहते हैं. वहीं, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने अपने सरकारी बंगले के रिनोवेशन पर करीब 50 करोड़ रुपये तक खर्च किया है.

क्या था अनुच्छेद 370?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायत्तता मिली थी. वहीं, 35A जम्मू-कश्मीर राज्य विधानमंडल को स्थायी निवासी परिभाषित करने और उन नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार देता था. यह भारतीय संविधान में जम्मू-कश्मीर सरकार की सहमति से राष्ट्रपति के आदेश पर जोड़ा गया.

अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के तहत संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार था, लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए थी.

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पुनर्गठित होगा.

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