जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को सरकारी बंगला खाली करने के लिए कहा गया है. प्रशासन की ओर से महबूबा मुफ्ती को इस सप्ताह की शुरुआत में हाई सिक्योरिटी गुपकार एरिया में सरकारी बंगले को छोड़ने का नोटिस दिया गया था.
न्यूज एजेंसी से बात करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि फेयर व्यू से बेदखल करने का नोटिस मुझे कुछ दिन पहले दिया गया था. हालांकि इसमें कोई आश्यर्य की बात नहीं है, मुझे इसको लेकर पहले से ही उम्मीद थी. पूर्व सीएम ने कहा कि नोटिस में उल्लेख किया गया है कि वह जिस बंगले में रहती है वह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के लिए है, लेकिन ऐसा नहीं है.
उन्होंने बताया कि मेरे पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद को मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद दिसंबर 2005 में इस जगह की अनुमति दी थी. इसलिए प्रशासन द्वारा लिया गया आधार सही नहीं है. महबूबा मुफ्ती दिसंबर 2005 से गुपकार इलाके में रह रही हैं.
अदालत में चुनौती देंगी महबूबा मुफ्ती?
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अदालत में इस नोटिस को चुनौती देंगी तो पीडीपी प्रमुख ने कहा कि वह अपनी कानूनी टीम से सलाह लेंगी. महबूबा ने कहा कि मेरे पास ऐसी जगह नहीं है जहां मैं रह सकूं. इसलिए मुझे निर्णय लेने से पहले अपनी कानूनी टीम से परामर्श करना होगा. जम्मू-कश्मीर के एक और पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने प्रशासन द्वारा उन्हें बेदखली का नोटिस जारी करने से पहले ही 2020 में गुपकार रोड में आधिकारिक बंगला खाली कर दिया था.
धारा 370 हटने से अधिकारों में बदलाव
केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठन के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों के अधिकारों में बदलाव किया गया था, जिसका मतलब था कि वे पूर्ववर्ती राज्य में उन्हें प्रदान किए गए आधिकारिक आवासों में नहीं रह सकते थे. पीडीपी के वरिष्ठ नेता नईम अख्तर को भी संविधान में बदलाव के बाद अपना गुपकार घर खाली करना पड़ा था. पूर्व मंत्रियों सहित कई राजनेता हालांकि जम्मू-कश्मीर में सरकारी बंगलों और घरों में रहते हैं.