जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने को लेकर उठ रहे सवालों के बीच वहां के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि अगर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सरकार बनाने के प्रति गंभीर होते तो किसी के हाथों पत्र भेज सकते थे या फोन कर सकते थे.
सत्यपाल मलिक ने शनिवाल को ग्वालियर की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कहा, 'अगर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला सरकार बनाने के प्रति गंभीर होते तो फोन कर सकते थे, किसी के हाथों पत्र भेज सकते थे. मेरा फोन हमेशा खुला रहता है, रात को दो बजे भी...मैं तो व्हाट्सऐप पर भी मैसेज आने पर समस्याएं हल करने की कोशिश करता हूं.'
राज्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने के बारे में विस्तार से चर्चा की और कहा कि ईद मिलाद उन नबी के दिन रसोइया भी छुट्टी पर था. श्रीनगर और जम्मू के बीच कई उड़ानें हैं. अगर वे सरकार बनाने को लेकर संजीदा थे तो किसी को भी भेज सकते थे.
उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती ने मुझसे एक हफ्ते पहले कहा था कि उनके विधायकों को धमकाया जा रहा है. मलिक ने कहा कि सज्जाद लोन भी कह रहे थे कि उनके पास भी पर्याप्त विधायक हैं. उनके विधायकों को भी धमकाया जा रहा है. ऐसे में लोन को मौका देकर मैं पक्षपात नहीं करना चाहता था.
बता दें कि जम्मू कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद वहां राज्यपाल शासन लागू है. राज्यपाल शासन की मियाद पूरी होने जा रही थी, जिसके मद्देनजर राज्य में सरकार बनाने को लेकर जोड़-तोड़ चल रही थी. इसी के मुद्देनजर राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का फैसला किया. राज्यपाल के इस निर्णय पर राजनीतिक दल सवाल उठा रहे हैं और राजभवन की फैक्स मशीन को लेकर भी जमकर चर्चा हुई है, जिसे लेकर उन्होंने एक बार फिर सफाई दी.