स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरस्कारों का ऐलान किया गया. हवलदार आलोक कुमार दुबे, मेजर अनिल उर्स, लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत को जम्मू-कश्मीर में अलग-अलग क्षेत्र में अदम्य साहस और वीरता का परिचय देने के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है.
हवलदार आलोक कुमार दुबे
हवलदार आलोक कुमार दुबे को पिछले साल 22 जून को जम्मू-कश्मीर के एक गांव के पास बाग में सर्च ऑपरेशन के दौरान अदम्य साहस का परिचय देने के लिए शौर्य चक्र से नवाजा गया. इस अभियान में उन्होंने एक खूंखार आतंकी को मार गिराया और 4 आतंकियों के भागने का रास्ता रोक दिया था.
44 राजपूताना राइफल्स (राजपूत) के हवलदार आलोक कुमार दुबे का जन्म 2 जुलाई 1984 को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में उनके पैतृक गांव भटपुरा में हुआ था. उनके पिता संतोष कुमार दुबे एक किसान हैं और मां एक गृहिणी हैं.
हवलदार आलोक कुमार दुबे ने कमालपुर (यूपी) के आरपी इंटर कॉलेज से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. उनकी शादी पूजा से हुई. उनके परिवार में दो बेटियों के अलावा एक बेटा है. उनका परिवार यूपी के फतेहगढ़ में रह रहा है. वह 30 जनवरी 2002 को सेना में शामिल हुए. उन्होंने फतेहगढ़ के द राजपूत रेजिमेंट सेंटर में ट्रेनिंग हासिल की. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उनकी पोस्टिंग 23 राजपूत में हुई. 6 जनवरी 2017 को उन्हें 44 राष्ट्रीय राइफल्स (राजपूत) में तैनात किया गया था.
मेजर अनिल उर्स
नियंत्रण रेखा के पास तैनाती के दौरान आतंकियों के घुसपैठ की जानकारी मिलने के बाद उसे रोकने की कोशिश की और इस अभियान के दौरान कई आतंकियों को मार गिराया.
मेजर अनिल उर्स वर्तमान में नियंत्रण रेखा के पास एक इफेंट्री बटालियन में कंपनी कमांडर के रूप में तैनात हैं. उन्हें 23 सितंबर 2007 को मराठा लाइट इफेंट्री में कमीशन दिया गया था. वह चेन्नई के ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी और 27 राष्ट्रीय राइफल्स में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. अपने दोनों कार्यकाल के दौरान उन्हें सेना के कमांडर द्वारा कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए सराहा गया था.
लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत
लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत नियंत्रण रेखा पर आतंकियों के घुसपैठ को रोकने के लिए टीम लीडर के रूप में तैनात थे. घुसपैठ की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने घुसपैठ रोकने की कोशिश की और 2 आतंकियों को मार गिराया, जबकि एक को गंभीर रूप से घायल कर दिया.
सेना पदल हासिल करने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल कृष्ण सिंह रावत का जन्म 25 मार्च 1985 को भिकियासैन (उत्तराखंड) में हुआ था. उनके पिता नई दिल्ली में स्टॉफ ऑफ एंटीग्रेटेड डिफेंस हेड क्वार्ट्स में एंटीग्रेटेड फाइनेंसियल एडवाइजर के निजी सचिव के पद से रिटायर हैं. कृष्ण ने अपनी स्कूलिंग नई दिल्ली के सरोजनी नगर स्थित ग्रीन फील्ड्स स्कूल और नवयुग स्कूल से की. कमीशनिंग पर, वह पहली बटालियन पैराशूट रेजिमेंट (विशेष बल) में शामिल हो गए. उन्हें 2010 में सेना पदक (वीरता) और मेंशन-इन-डिस्पैच में यूनिट में काउंटर के साथ तैनात किया गया.
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21 जवानों को गैलेंटरी अवॉर्ड
इससे पहले इंडो-तिब्बतन पुलिस फोर्स (आईटीबीपी) ने शुक्रवार को उन जवानों को गैलेंटरी अवॉर्ड देने की अनुशंसा की है, जिन्होंने मई और जून, 2020 के महीनों में ईस्टर्न लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ कई झड़पों के दौरान बहादुरी से डटकर सामना किया था.
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आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देसवाल ने 21 गैलेंटरी अवॉर्ड की सिफारिश की है. लद्दाख सीमा पर चीनी सैनिकों से झड़प के दौरान यह सैनिक न केवल ढाल बने, बल्कि चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों का डटकर मुकाबला किया और स्थिति को अपने नियंत्रण में रखा. यही नहीं आईटीबीपी जवानों ने कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी और सेना के घायल जवानों को वापस भी लाया.