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कश्मीर में ISIS कितना एक्टिव? डीजीपी ने दिया ये जवाब

कश्मीर में संघर्ष के दौरान अक्सर पाकिस्तान के झंडे दिखाई देते हैं, लेकिन पिछले कुछ वक्त से पत्थरबाजों के हाथों में ISIS का झंडा भी नजर आने लगा है. दिसंबर के आखिरी हफ्ते में श्रीनगर की जामिया मस्जिद में जिस तरह कुछ युवाओं ने ISIS का झंडा लहराया, उससे एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक इस्टेट (ISIS) की कोई खास मौजूदगी की बात से इनकार करते हुए डीजीपी दिलबाग सिंह ने बुधवार को कहा कि असली समस्या यह है कि युवाओं को आईएस की तर्ज पर कट्टरपंथी बनाया जा रहा है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि आईएस का झंडा दिखाकर यह दिखाने की कोशिश की गई है कि कश्मीर उसकी मौजूदगी है. लेकिन हम कहना चाहते हैं कि आईएस की उतनी बड़ी मौजूदगी नहीं है.

हालांकि, डीजीपी दिलबाग सिंह ने ये जरूर कहा कि जिस तरह ISIS काम करता है, उसी तर्ज पर घाटी के युवाओं को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है. दिलबाग सिंह ने कहा, 'कुछ तत्व युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि कश्मीरी समाज एक खुला और धर्मनिरपेक्ष समाज है.

डीजीपी दिलबाग सिंह ने ये भी बताया कि विभिन्न स्तरों पर समाज को कट्टरपंथी बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं और हमने कुछ दिन पहले जामा मस्जिद में जो गतिविधियां देखी, उनमें उनकी अभिव्यक्ति देखी गई है. डीजीपी 28 दिसंबर को हुई जामिया मस्जिद की उस घटना का जिक्र कर रहे थे, जिसमें नकाबपोश युवा काले झंडे दिखाते हुए नजर आए थे. ये युवा श्रीनगर के नौहट्टा इलाके की जामिया मस्जिद में झंडा लहराते हुए भारत विरोधी नारेबाजी कर रहे थे. मीरवाइज उमर फारूक की तकरीर के बाद ही ये घटना हुई थी.

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वहीं, 2018 की स्थिति पर दिलबाग सिंह ने बताया कि कुल मिलाकर बीते साल हालात शांतिपूर्ण रहे. हालांकि आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान कुछ लोगों को उनकी कीमती जान गंवानी पड़ी. बता दें कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह भारत में ISIS के लिंक को नकारते रहे हैं. अब डीजीपी ने कहा है कि आईएसआईएस की मौजूदगी तो उतनी नहीं है, लेकिन युवाओं को बरगलाया जा रहा है.

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