जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात में मुफ्ती ने कठुआ गैंगरेप मामले पर भी बात की.
मुफ्ती ने प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात में इस बात पर चिंता जताई कि गैंगरेप की इस घटना ने राज्य में ध्रुवीकरण कर दिया है, जो सुरक्षा के लिहाज से बेहद चिंतित करने वाला है. इसके साथ ही दोनों नेताओं के बीच राज्य के विकास और सुरक्षा से जुड़े मसलों पर भी बातचीत हुई.
बता दें कि ये मामला एक आठ साल की बच्ची से रेप और हत्या से जुड़ा है. गैंगरेप की इस घटना के बाद पूरे जम्मू-कश्मीर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू हो गए.
दूसरी ओर मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा कि मामले में कानून अपना काम करेगा. जांच में पूरी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है. तेजी से जांच चल रही है और मामले में आसिफा को न्याय मिलेगा.
The Law will not be obstructed by the irresponsible actions & statements of a group of people. Proper procedures are being followed, investigations are on the fast track & justice will be delivered. #JusticeForAsifa
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) April 12, 2018
महबूबा मुफ्ती ने अपनी सरकार में शामिल बीजेपी मंत्रियों और नेताओं लाल सिंह और चंदर प्रकाश सिंह के हिंदू एकता मंच की ओर से निकाली गई रैली में शामिल होने के लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की. हिंदू एकता मंच ने रेप के आरोपियों और स्पेशल पुलिस ऑफिसर दीपक खजुरिया के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई का विरोध किया था.
सूत्रों ने कहा, 'पहली बार, बाखेरवाल मुस्लिमों को लग रहा है कि उन्हें उनके धर्म की वजह से टारगेट किया जा रहा है. पीएमओ को भेजी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान या अलगाववादी नोमाद समुदाय को भड़काने की कोशिश कर सकते हैं. इस समुदाय के लोग सीमा से लगे राज्य के ज्यादातर जिलों में फैले हुए हैं.'
मुफ्ती सरकार के एक सूत्र ने कहा कि केंद्र का मानना है कि कश्मीर के सिर्फ 6 जिलों में ही अशांति है. दूसरी ओर इंटेलिजेंस रिपोर्ट काफी खतरनाक संकेतों की ओर इशारा करती है.
बता दें कि गुज्जर और बाखेरवाल समुदाय के लोग भारत के प्रति अपने झुकाव के लिए जाने जाते हैं, लेकिन इस घटना के बाद से गुज्जर-बाखेरवाल और अन्य बहुसंख्यक समुदाय के बीच तनाव पैदा हो गया है.
सूत्रों का कहना है कि आठ साल की मासूम की हत्या के पीछे आरोपियों का मकसद कठुआ के रासना गांव से बाखेरवाल मुसलमानों को भगाना था, साथ ही नोमाद समुदाय में डर पैदा करना था.
कश्मीर की राजनीति को देखें, तो घाटी में पीडीपी का बोलबाला है, जबकि जवाहर टनल के पार बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत की है.
दरअसल इस मामले में पूरी स्थिति तब बिगड़ी जब केस में एसपीओ खजूरिया की संलिप्तता का खुलासा हुआ. खजूरिया के साथ दो और पुलिस वालों को भी गिरफ्तार किया गया है, जिन पर सबूत नष्ट करने का आरोप है.
क्राइम ब्रांच की टीम 22 जनवरी से इस मामले में जांच की मांग कर रही है. दिलचस्प ये है कि बीजेपी नेताओं ने भी इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी. कश्मीर घाटी वापस लौटने से पहले महबूबा मुफ्ती ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की.