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J&K: उपराज्यपाल ने शहीद सुनील पंडित की पत्नी को सौंपा नियुक्ति पत्र, आतंकियों ने कर दी थी हत्या

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को शहीद नागरिक सुनील पंडित की पत्नी सुनीता पंडित को नियुक्ति पत्र सौंपा. शोपियां में आतंकवादियों ने सुनील पंडित की हत्या कर दी थी. उपराज्यपाल ने शहीद नागरिक के परिवार को प्रशासन की ओर से हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया.

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नियुक्ति पत्र सौंपते उपराज्यपाल मनोज सिन्हा
नियुक्ति पत्र सौंपते उपराज्यपाल मनोज सिन्हा

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को शहीद नागरिक सुनील पंडित की पत्नी सुनीता पंडित को नियुक्ति पत्र सौंपा. शोपियां में आतंकवादियों ने सुनील पंडित की हत्या कर दी थी. उपराज्यपाल ने शहीद नागरिक के परिवार को प्रशासन की ओर से हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया. नियुक्ति पत्र सौंपने के दौरान सुनील पंडित के परिवार के सदस्य भी राजभवन में उपस्थित थे.

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उधर, संपत्ति कर लगाने पर नाराजगी के बीच जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि इसे आम जनता की सलाह से लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि संपत्ति कर से शहरों की वित्तीय आत्मनिर्भरता और सार्वजनिक सुविधाओं में सुधार सुनिश्चित होगा. जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को 1 अप्रैल से नगरपालिका क्षेत्रों में संपत्ति कर लगाने का आदेश दिया, जिसका लगभग सभी क्षेत्रों के लोगों ने कड़ा विरोध किया है. राजनीतिक दल आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग कर रहे हैं.

'ये सही समय नहीं है हमने बहुत कुछ झेला है' 
इंडिया टुडे से खास बातचीत में जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों पर इस तरह का टैक्स लगाने का यह सही समय नहीं है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने पिछले 3 दशकों में आतंकवाद के कारण बहुत कुछ झेला है. सरकार को इस मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए. लोगों पर संपत्ति कर लगाने का यह सही समय नहीं है. पहले विधानसभा चुनाव होने दें. संपत्ति कर जैसे मुद्दे को निर्वाचित सरकारों पर छोड़ देना चाहिए. हम इस निर्णय की समीक्षा की मांग करते हैं.

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'जब किसी फैसले में हमारी कोई भूमिका ही नहीं तो...' 
इधर, उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्वीट में कहा "प्रतिनिधित्व के बिना कोई कराधान नहीं". जम्मू-कश्मीर में लोगों को प्रस्तावित संपत्ति कर सहित राज्य करों का भुगतान क्यों करना चाहिए, जब हमारी सरकार कैसे चलती है और जम्मू-कश्मीर के निर्णय लेने में हमारी कोई भूमिका नहीं है. हमसे उम्मीद की जाती है कि हम राजभवन के सभी अन्यायपूर्ण फैसलों के मूक दर्शक बने रहेंगे".
 

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