जम्मू-कश्मीर सरकार ने अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को तीसरी बार रिपोर्ट भेजी है. बताया जाता है कि केंद्र की असंतुष्टि के बाद मुफ्ती सरकार ने यह विस्तृत रिपोर्ट भेजी है. सूत्रों के मुताबिक, इससे पहले केंद्र सरकार मामले में दोबारा भेजी गई रिपोर्ट से भी संतुष्ट नहीं थी. लिहाजा, इस बारे में केंद्र ने कुछ और सफाई मांगी थी.
जानकारी के मुताबिक, केंद्र ने मुफ्ती सरकार से पूरे घटनाक्रम और इसकी परिस्थितियों के बारे में और जानकारी मांगी है. मसरत की रिहाई का मामला केंद्र की मोदी सरकार के लिए भी मुसीबत बनता जा रहा है. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा था कि सरकार अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई पर जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से दी गई सफाई से संतुष्ट नहीं है. तब केंद्र ने जम्मू-कश्मीर सरकार से इस मामले पर नई रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने तेजी दिखाते हुए मसरत मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय को दूसरी रिपोर्ट सौंपी थी.
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने मसरत आलम को शनिवार 8 मार्च को रिहा कर दिया था. वो बारामूला जेल में बंद था. इस रिहाई के बाद विपक्षी दलों ने न सिर्फ केंद्र को निशाने पर लिया बल्कि नरेंद्र मोदी की राष्ट्रवादी विचारधारा पर भी सवाल उठने लगे. लोकसभा में भी मसरत मामला जमकर गूंजा, जिसके बाद पीएम मोदी ने लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि आलम की रिहाई से देश के आक्रोश के स्वर में वह अपना स्वर मिलाते हैं. मोदी ने बताया कि इस मामले में जम्मू-कश्मीर सरकार ने केंद्र सरकार से कोई सलाह नहीं ली थी. भारत सरकार को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
मोदी ने सदन में कहा, 'हमें कोई देशभक्ति न सिखाएं. ये किसी दल का नहीं पूरे देश का आक्रोश है. आतंकवाद और अलगाववाद में अंतर नहीं है. ऐसी कोई भी हरकत स्वीकार नहीं की जाएगी.'