जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने सशर्त रिहाई के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. इसके बाद प्रशासन ने श्रीनगर के राज भवन के पास सरकारी गेस्ट हाउसों में उमर और महबूबा की नजरबंदी को बढ़ा दिया है. दोनों नेता राज्य की मौजूदा हालात पर नजर बनाए हुए हैं.
आजतक को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, राज्यपाल प्रशासन की ओर से उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से कहा गया था कि अगर आप अनुच्छेद 370 को पंगु किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन नहीं करेंगे और लोगों को इकट्ठा नहीं करेंगे. उमर और महबूबा ने शर्त मानने से इनकार कर दिया है.
दोनों नेताओं को इस महीने की 6 तारीख को हिरासत में लिया गया था. शुरुआत में दोनों नेताओं को हरी निवास गेस्ट हाउस में रखा गया था, लेकिन इस दौरान दोनों नेताओं में बहस हो गई थी, जिसके बाद दोनों को अलग-अलग गेस्ट हाउस में रखा गया था. सूत्रों के मुताबिक उमर अब्दुल्ला सुरक्षा बलों से लगातार घाटी की हालात की जानकारी ले रहे हैं.
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार के हर कदम पर शुरू से ही सवाल उठा रहे हैं. राज्य में अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किए जाने के बाद केंद्र सरकार महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के निशाने पर है.
महबूबा मुफ्ती ने संसद में 370 को निरस्त किए जाने संबंधी घोषणा किए जाने के कुछ ही मिनट बाद प्रतिक्रिया दी थी. मुफ्ती ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन है. जम्मू-कश्मीर के नेतृत्व ने 1947 में भारत के साथ जाने का जो फैसला लिया था, वो गलत साबित हो गया. भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला अवैध और असंवैधानिक है.