दक्षिण कश्मीर के पुलवामा की रहने वाली अलीमा जान की उम्र अभी 2 महीने भी नहीं हुई लेकिन जन्म लेते ही उसने अपनी मां को खो दिया. अलीमा की मां नरगिस की उम्र मात्र 26 साल थी और यह उसका पहला बच्चा था. परिवार का आरोप है कि उनकी मां को न ही कोई तकलीफ थी और न ही कोई बीमारी, बल्कि कोरोना वायरस टेस्ट के चक्कर में उनकी जान गई.
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नरगिस को जब पुलवामा के जिला अस्पताल में भर्ती किया गया तो यहां पर डॉक्टरों ने उससे श्रीनगर के एक अस्पताल में एडमिट होने के लिए कहा. अस्पताल में बच्चे को जन्म देने के बाद महिला को सांस लेने में कुछ शिकायत थी. आनन-फानन में डॉक्टरों ने महिला को कोरोना वायरस पीड़ित मान लिया और बच्चे को परिवार के हवाले कर दिया.
परिवार का आरोप है कि महिला का बिना टेस्ट किए उसे क्वारनटीन कर दिया गया. महिला के मौत के बाद जब उसका कोरोना टेस्ट रिजल्ट आया तो वो कोरोना निगेटिव थी. अब परिवार का कहना है कि नरगिस की मौत डॉक्टरों की लापरवाही से हुई है.
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कोरोना वायरस के डर से हुई मौत का एक ऐसा ही और मामला पुलवामा जिले के ही शेखपुरा में सामने आया है. यहां पर बच्चे को जन्म देने वाली और एक महिला की मौत 23 मई को हुई थी. बच्चे को जन्म देने से पहले महिला को कोरोना वायरस टेस्ट के लिए कहा गया. परिवार का आरोप है कि महिला इसे लेकर खौफजदा हो गई और उसकी मौत हो गई.
लोगों का कहना है कि यदि गर्भवती महिलाओं का टेस्ट अनिवार्य किया गया है तो उसके लिए उन्हें ज्यादा देर तक इंतजार न करवाया जाए, क्योंकि ऐसा करने से महिलाओ में तनाव बढ़ता है और उनकी जान तक चली जाती है.