जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद टेलीफोन, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं. प्रशासन द्वारा लागू किए गए कड़े नियमों के कारण लोगों को आवागमन में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. इन सबके खिलाफ और पत्रकारिता की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की मांग करते हुए कश्मीर टाइम्स की एग्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन न्यायमूर्ति चंद्रमौली प्रसाद ने भसीन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में हस्तक्षेप करते हुए सरकार के कदमों का समर्थन किया था. अब प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष न्यायाधीश चंद्रमौली प्रसाद भारतीय महिला प्रेस कॉर्प (IWPC) के निशाने पर आ गए हैं. आईडब्लूपीसी ने प्रसाद के कदम को एकतरफा बताते हुए इसकी निंदा की है.
आईडब्लूपीसी ने आरोप लगाया कि चंद्रमौली प्रसाद ने इस कदम से पहले किसी से कोई चर्चा नहीं की और अकेले यह दूरगामी फैसला ले लिया. संगठन ने प्रेस काउंसिल के कदम को जिन उद्देश्यों के साथ उसकी स्थापना की गई थी, उनके खिलाफ बताया है. प्रेस की स्वतंत्रता बनाए रखने और पत्रकारिता के स्तर में सुधार के लिए प्रेस काउंसिल की स्थापना की गई थी. भसीन की याचिका कश्मीर की पत्रकारिता की स्वतंत्रता और इसे सुविधाजनक बनाने के लिए ही है.
आईडब्लूपीसी ने राहुल गांधी के नेतृत्व में जम्मू कश्मीर गए विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल की कवरेज के लिए उनके साथ गए पत्रकारों के साथ धक्का-मुक्की की घटना की भी निंदा की है.
गौरतलब है कि कश्मीर टाइम्स की अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट में 10 अगस्त को याचिका दायर किया था. इसमें जम्मू कश्मीर में मीडिया की स्वतंत्रता पर चुनौतीपूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने का उल्लेख किया था.
भसीन ने याचिका में पत्रकारों को अपने कर्तव्य निभाने में सक्षम बनाने के लिए मोबाइल, इंटरनेट और लैंडलाइन सेवाओं पर लगे सभी प्रतिबंधों को खत्म करने का निर्देश देने की मांग की थी. प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चंद्रमौली प्रसाद ने 16 अगस्त को याचिका में हस्तक्षेप करते हुए सरकार के कदमों का समर्थन किया था.
Press Council of India has filed an application in the Supreme Court seeking to make it a party in a plea filed by Anuradha Bhasin, Executive Editor of Kashmir Times challenging the "restriction on working journalists in Kashmir valley in the wake of revocation of Article 370" pic.twitter.com/ORDlAXE1Jx
— ANI (@ANI) August 24, 2019
न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा था कि भसीन की याचिका में स्वतंत्र रिपोर्टिंग के लिए पत्रकारों और मीडिया के अधिकारों की चिंता है. इन कदमों के पीछे राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता के साथ राष्ट्रीय हित की चिंता है. प्रेस काउंसिल के इस कदम पर पत्रकार संगठन प्रेस एसोसिएशन ने भी नाराजगी जताई थी. भसीन के आवेदन पर 16 सितंबर को सुनवाई होने की संभावना है.