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राजौरी: घर में लगी आग को समझ लिया आतंकी हमला, विलेज डिफेंस फोर्स के सदस्य ने कर दी फायरिंग

जम्मू-कश्मीर में राजौरी के एक गांव में ग्राम रक्षा समूह के एक सदस्य ने खुलेआम गोलियां दागनी शुरू कर दीं. घटना की जानकारी होती ही सुरक्षाबलों की टीमें मौके पर पहुंच गई. जांच में पता चला कि घर में आग लगने की वजह से परिवार के सदस्य चीखने लगे थे. वहीं ग्राम रक्षा समूह के सदस्य को लगा कि घर पर आतंकी हमला हो गया है.

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जम्मू कश्मीर के राजौरी में हुई घटना (फाइल फोटो)
जम्मू कश्मीर के राजौरी में हुई घटना (फाइल फोटो)

जम्मू और कश्मीर के राजौरी में आतंकी हमलों से बचाव के लिए सरकार ग्राम रक्षा समूह (वीडीसी) को फिर से एक्टिव कर रही है. इसी समूह के एक सदस्य ने लोगों की चीखें सुनकर आतंकी हमले के शक में हवाई फायरिंग कर दी. हालांकि बाद में पता चला कि उसके पड़ोसी के घर में आग लग गई थी, जिससे घबराकर लोग चीखने लगे थे.

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अधिकारियों ने बताया कि राजौरी के द्रामन गांव में विजय सिंह के घर में आग लग गई थी. इस हादसे से परेशान परिजन रोने लगे थे. उसी गांव के एक व्यक्ति ने इसे संदिग्ध घटना समझकर अपने वीडीसी हथियार से हवाई फायर कर दी. अधिकारियों ने कहा कि वीडीसी सदस्य ने हवा में तीन गोलियां चलाईं. बुढाल के स्टेशन हाउस अफसर एनआर ठाकुर ने कहा कि घटना के संज्ञान में आते ही सुरक्षा बलों की टीमें गांव में पहुंची गई, जांच में घटना की सही वजह पता चली.

मालूम हो कि राजौरी और श्रीनगर के जदीबल इलाके में नए साल पर आतंकियों ने हिंदू परिवारों पर फायरिंग कर दी थी. उनके इस हमले में 7 लोगों की जान चली गई थी.  

सीआरपीएफ दे रही ग्रामीणों को ट्रेनिंग

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का मुकाबला करने के लिए देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल (CRPF) द्वारा ग्राम विकास समिति (VDC) के तहत ग्रामीणों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके अलावा राजौरी जिले के धनगरी में हर एक ग्राम रक्षा समिति में एक सदस्य को SLR राइफलें जारी की गई हैं. कुछ ग्राम रक्षा समितियों में 2 से 3 सदस्यों को स्वचालित राइफलें भी दी गई हैं.

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303 लोगों को दिए जा चुके हथियार

राजौरी के धनगरी गांव में 9 जनवरी को एक विशेष शिविर का आयोजन किया गया और लगभग 100 VDC सदस्यों को नए हथियार दिए गए. इनमें से 40 पूर्व सैनिक हैं, जिन्हें एसएलआर हथियार दिए गए हैं. साथ ही पुलिस द्वारा आयोजित इस शिविर में 60 स्थानीय लोगों को भी हथियार दिए गए हैं. अबतक कुल 303 बंदूकें दी गई हैं, जबकि 40 पूर्व सैनिकों को सेल्फ-लोडिंग राइफलें यानी एसएलआर बंदूकें दी गईं, ताकि वे किसी आतंकी हमले की स्थिति में अपना बचाव कर सकें. इसके अलावा गांव के पूर्व सैनिक गांव के अन्य लोगों को प्रशिक्षण देकर तैयार करेंगे जो पहले हथियार चलाने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं.

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