scorecardresearch
 

POK के विस्थापितों और कश्मीरी पंडितों के लिए विधानसभा में रिजर्व होगी सीटें, मॉनसून सत्र में पेश हो सकता बिल

केंद्र सरकार जल्द ही जम्मू-कश्मीर के लिए बड़ा फैसला कर सकती है. दरअसल मोदी सरकार जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करने जा रही है. संशोधन बिल इस मॉनसून सत्र में पेश भी हो सकता है. इसके तहत जम्मू कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों और पीओके के विस्थापितों के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी.

Advertisement
X
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करेगी मोदी सरकार (फाइल फोटो)
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करेगी मोदी सरकार (फाइल फोटो)

मोदी सरकार संसद के मॉनसून सत्र में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2023 ला सकती है. इस बिल में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नामांकन के आधार पर विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए दो सीटें और पाकिस्तान के कब्जे वाले (पीओके) कश्मीर के विस्थापितों के लिए एक सीट रिजर्व की जाएगी. कश्मीरी पंडितों की एक सीट महिला के लिए भी आरक्षित रहेगी.

Advertisement

बिल के मुताबिक, उपराज्यपाल इन सदस्यों को विधानसभा में मनोनीत करेंगे. जानकारी के मुताबिक परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अब कुल 90 सीटें हैं, लेकिन संशोधन बिल पास होने के बाद यह संख्या बढ़ जाएगी. इससे पहले, अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द करने के बाद एक परिसीमन आयोग का गठन किया गया था.

आयोग की सिफारिश के आधार पर ही यह बदलाव किया जाएगा. हालांकि एक ओर जहां कश्मीरी पंडितों ने सरकार के इस कदम की सराहना की है, वहीं पीओजेके के विस्थापित लोगों ने विधानसभा में नामांकन के आधार पर उनके लिए केवल 1 सीट आरक्षित होने पर निराशा व्यक्त की है. कांग्रेस ने इस फैसले को धोखा करार दिया है.

विधेयक को लेकर शुरू हुई बयानबाजी

मोदी सरकार ने वादा पूरा किया: बीजेपी

वरिष्ठ बीजेपी नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह ने इंडिया टुडे से विशेष बातचीत में कहा- "कश्मीरी पंडितों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व से वंचित कर दिया गया था. इसी तरह, पीओजेके विस्थापितों की भी विधानसभा में कोई आवाज नहीं थी. हमारी पार्टी ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों और पीओजेके के विस्थापित लोगों को राजनीतिक आरक्षण देकर अपना वादा पूरा किया है. यह कदम जम्मू-कश्मीर में विस्थापित समुदायों को सशक्त बनाएगा.

Advertisement

विस्थापितों के साथ विश्वासघात किया: कांग्रेस

जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने इंडिया टुडे से कहा-"हम विस्थापित कश्मीरी पंडितों और पीओजेके विस्थापितों को दिए जाने वाले प्रतिनिधित्व के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें सीधे विधानसभा में नामांकित करने के बजाय मौजूदा सीटें उनके लिए आरक्षित की जानी चाहिए ताकि लोग उन्हें चुन सकें. नामांकन प्रावधान करके, जो सदस्य विधानसभा में जाएंगे, वे सरकार और उनके समुदायों का प्रतिनिधित्व करेंगे. बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में विस्थापित समुदायों को धोखा दिया है. हम इस नामांकन प्रावधान का समर्थन नहीं करते हैं",

कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की जांच हो

कश्मीरी पंडितों के संगठन रूट्स इन कश्मीर के समन्वयक अमित रैना ने कहा- "जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों की कोई आवाज नहीं थी. हम कश्मीरी पंडितों को राजनीतिक आरक्षण देने के लिए विधानसभा में एक विधेयक लाने के सरकार के फैसले की सराहना करते हैं. हालांकि, अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है. विधानसभा में सिर्फ दो सदस्यों को नामांकित करना पर्याप्त नहीं है. सरकार को कश्मीरी पंडितों के बीच विश्वास पैदा करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है. सरकार को कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की जांच के लिए एक जांच आयोग नियुक्त करना चाहिए."

एक नहीं 8 सीटें रिजर्व की जाएं

पीओके से विस्थापित लोगों के प्रमुख संगठन एसओएस इंटरनेशनल के अध्यक्ष राजीव चूनी ने कहा- "हमारी लगातार यही मांग रही है कि विधानसभा में हमारे लिए कम से कम 8 सीटें आरक्षित की जाएं. जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीओजेके क्षेत्र से 24 सीटें खाली हैं. ये 24 सीटें फ्रीज हुई हैं. हमने पीओजेके क्षेत्र की कम से कम 8 सीटों को डी-फ्रीज करने के लिए कहा था. अगर यह सच है कि विधेयक में हमारे लिए केवल एक सीट का प्रावधान है, तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. यह हमें स्वीकार्य नहीं है. हम अपना विरोध दर्ज कराएंगे."

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement