केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तीन दिनों के जम्मू-कश्मीर के दौरे पर हैं. सरकार की तरफ से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने की घोषणा करने का काम अमित शाह ने ही किया था. जिसने कश्मीर को बदल कर रख दिया. दो साल पहले मोदी सरकार ने इतना बड़ा कदम उठाकर विपक्ष को चौंका दिया था. सरकार दूसरे कार्यकाल के शुरुआती दिनों में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर इतनी बड़ी चोट कर सकती है, ये बात सरहद पार बैठे दुश्मनों ने भी नहीं सोची थी. इसका संसद में 370 हटाने का जोरदार विरोध हुआ. घाटी के हाथ से निकल जाने के दावे हुए, लेकिन कश्मीर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भरोसे को सही साबित किया. जिन्होंने संसद में खड़े होकर 370 को जम्मू कश्मीर के पिछड़ने का सबसे बड़ा रोड़ा बताया था.
370 हटने के बाद गायब हो गए पत्थरबाज, कितना बदला कश्मीर?
अब जब जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटने के दो साल से ज्यादा बीत चुके हैं और गृह मंत्री श्रीनगर में हैं तो यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि इन पिछले 2 सालों में कश्मीर कितना बदल गया है. दो साल पहले जम्मू-कश्मीर का नाम लेते हुए सभी के जेहन में एक तस्वीर जो सबसे पहले आती थी, वह पत्थरबाज की थी. श्रीनगर के डाउन टाउन इलाके में पत्थरबाज मुंह पर रुमाल बांध कर सुरक्षाबलों की तरफ पत्थर फेंकते थे. पाकिस्तान और आतंकवादी संगठनों के झंडे लहराए जाते थे. ये तस्वीरें देखना आम बात थी. हर हिंदुस्तानी यह सब देखकर परेशान भी होता था, लेकिन कश्मीर से ऐसी तस्वीरें आना रोजमर्रा की बात हो गई थी. लेकिन 370 हटने के बाद घाटी से मानो पत्थरबाज गायब हो गए हैं. पत्थरबाजी की घटनाएं न के बराबर हो रही हैं.
किस साल कितनी हुईं पत्थरबाजी की घटनाएं?
साल 2016 में 2653 पत्थरबाजी की घटनाएं हुई थीं, जो 2017 में 1,412, साल 2018 में 1,458, साल 2019 में 1,999 हो गईं. लेकिन 370 निरस्त होने के साल भर के अंदर ये 255 रह गईं. यानी पत्थरबाजी के मामलों में 90 फीसदी की कमी आई है. पत्थरबाजी के अलावा घाटी में होने वाली आतंकवादी वारदातें भारत के लिए नासूर बन गई थीं. जिसमें आम लोगों के साथ-साथ सुरक्षाबलों की आए दिन शहादत होती थी.
नौजवानों की जिंदगी बर्बाद कर रहा था आतंकवाद
आतंकवाद कश्मीर के लिए वह लाइलाज बीमारी बन चुका था जो घाटी के नौजवानों की जिंदगी बर्बाद कर रहा है. कश्मीर में नौजवान पढ़ने की जगह आतंकवाद की दलदल में फंस जाया करते थे, लेकिन 2019 के बाद हालात तेजी से बदल रहे हैं. कश्मीर के नौजवान सेना के कैंपों में नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए बढ़ चढ़कर आगे आ रहे हैं.
पांच अगस्त, 19 से पहले कश्मीर में लहराते थे दो ध्वज
5 अगस्त 2019 से पहले कश्मीर में दो-दो ध्वज लहराते थे. कश्मीर में तिरंगा लहराना. खासकर श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा लहराना एक चुनौती होता था, मगर 370 हटने के बाद अब सिर्फ तिरंगा लहराता है. नए कश्मीर के निर्माण के लिए सरकार भी पूरी ताकत लगा रही है. नई औद्योगिक विकास नीति के तहत सरकार की तरफ से 28400 करोड़ रुपये औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बजट बनाया गया है. 2020-21 में उद्योगों के लिए 29030 हजार कैनाल लैंड बैंक बनाए गए हैं. सितंबर 2020 में उद्योगों को 1352 करोड़ रुपये का बूस्टर दिया गया.
निवेश के लिए 456 एमओयू हो चुके हैं साइन
जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से वहां 23152 के निवेश लिए 456 MOU पर दस्तखत हो चुके हैं. इसके अलावा लटके प्रोजेक्ट पूरा करने पर भी तेजी से काम हो रहा है. ये सारी कोशिश कश्मीर को विकास के हाइवे पर देश के साथ लाने के लिए हो रही हैं. घाटी भी बाकी देश की तरह विकास की रोशनी से नहाए इसके लिए अमित शाह भी अपने 3 दिनों के दौरे पर बड़े कदम उठाने वाले हैं . ताकि विकास के सहारे आतंकवाद पर आखिरी प्रहार किया जाए.
(आजतक ब्यूरो)