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ऐप की मदद से जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के नए तरीके खोज रहे आतंकी, NIA जांच में खुलासा

जानकारी मिली है कि आतंकी जम्मू-कश्मीर में घुसने के नए तरीके तलाश रहे हैं. इस काम को भी मोबाइल ऐप्स की मदद से किया जा रहा है. बताया गया है कि आतंकी अपने फोन में ऐसे ऐप रखते हैं जिसके जरिए उन्हें लगातार अलग-अलग रास्ते बताए जाते हैं, वो रास्ते जहां पर सुरक्षाबलों का पहरा कम है.

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सुरक्षाबलों को चकमा देने के लिए नए रास्ते खोज रहे आतंकी ( सांकेतिक फोटो)
सुरक्षाबलों को चकमा देने के लिए नए रास्ते खोज रहे आतंकी ( सांकेतिक फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • प की मदद से जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के नए तरीके खोज रहे आतंकी
  • NIA जांच में OGW के खुलासे

जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ वक्त से सुरक्षाबलों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. अब आतंकियों के सफाये पर तो जोर दिया ही जा रहा है, इसके अलावा उन ओवर ग्राउंड वर्कर्स को भी पकड़ा जा रहा है जो घाटी में रहकर इन आतंकियों की मदद कर रहे हैं. अब उन्हीं ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने NIA के सामने बड़े खुलासे कर दिए हैं.

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ऐप के जरिए आतंकियों की घुसपैठ

जानकारी मिली है कि आतंकी जम्मू-कश्मीर में घुसने के नए तरीके तलाश रहे हैं. इस काम को भी मोबाइल ऐप्स की मदद से किया जा रहा है. बताया गया है कि आतंकी अपने फोन में ऐसे ऐप रखते हैं जिसके जरिए उन्हें लगातार अलग-अलग रास्ते बताए जाते हैं, वो रास्ते जहां पर सुरक्षाबलों का पहरा कम है. वहीं उन्हीं आतंकियों को घुसपैठ करवाने की जिम्मेदारी ये OGW ले लेते हैं.

अब NIA की पूछताछ में पांच ऐसे रूट निकाल लिए गए हैं जिनका इस्तेमाल आंतकी घाटी में घुसपैठ के लिए कर रहे थे. वो रास्ते कुछ इस प्रकार हैं-

रूट 1: नाली (पीओके) से महादेव गैप, महादेव गैप से मजोत, मजोत से डुंडेसर वन, वहां से कलाकोट फिर जम्मू-कश्मीर

रूट 2: कोटकोटेरा (पीओके) से ब्राल गली, वहां से बागला, फिर कलाकोट से जम्मू-कश्मीर

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रूट 3: निकेल (पीओके) से कोंगा गली, वहां से दादोट होते हुए मनजोत से जम्मू-कश्मीर.

रूट 4: कश्मीर के रास्ते बंताल गांव (पीओके) से कास नाला.

रूट 5: गोई (पीओके) से सोन गली, वहां से नंदेरी, फिर गुरसैन सूरनकोट से जम्मू-कश्मीर.

ऐप्स से पता कर रहे रास्ते

अब जानकारी के लिए बता दें कि जिन ऐप्स का इस्तेमाल ये आतंकी कर रहे थे उनमें रास्तों की जानकारी और नेविगेशन सिस्टम पहले से ही अपलोड रहते हैं. आतंकी इस ऐप के जरिये नेविगेशन का इस्तेमाल कर जम्मू कश्मीर में सेना को चकमा देकर घुसपैठ कर जाते हैं. लेकिन अब क्योंकि सीधे ओवर ग्राउंड वर्कर्स को गिरफ्तार किया जा रहा है, ऐसे में कई बड़े खुलासे होने भी शुरू हो गए हैं.

ओवर ग्राउंड वर्कर्स को पकड़ने का सिलसिला भी तब शुरू हुआ जब अक्टूबर के महीने में आतंकी घटनाएं काफी ज्यादा बढ़ गई थीं. तब एक हाई लेवल मीटिंग में फैसला हुआ था कि ओवर ग्राउंड वर्कर्स को पकड़ने की जरूरत है. अब उन्हीं ओवर ग्राउंड वर्कर्स की वजह से ये खुलासे होते दिख रहे हैं.

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