केंद्र की मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किए जाने और विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर 2 केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अस्तित्व में लाने पर काम जारी है. अब जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट 2019 के सेक्शन 57 के तहत जम्मू-कश्मीर विधान परिषद को खत्म कर दिया गया.
जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से बुधवार को जारी अधिसूचना के आधार पर राज्य के ऊपरी सदन विधान परिषद को खत्म कर दिया गया है. राज्य सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के आधार पर इस आदेश के बाद अब विधान परिषद के सभी स्टॉफ 22 अक्टूबर से आम प्रशासन विभाग को रिपोर्ट करेंगे.
कई निर्देश भी जारी
इसके अलावा विधान परिषद के लिए समय-समय पर खरीदे गए वाहनों को स्टेट मोटर गैराज के निदेशक को ट्रांसफर कर दिए गए हैं. साथ ही जम्मू-कश्मीर विधान परिषद के सचिव को विधान परिषद की इमारत में रखे सभी तरह के फर्नीचर और इलेक्ट्रानिक गैजेट को प्रॉपर्टी निदेशक को सौंपने को कहा गया है.
साथ ही जम्मू-कश्मीर विधान परिषद के सचिव परिषद से जुड़े सभी तरह के रिकॉर्ड सचिवालय परिषद को ट्रांसफर कर देंगे.
मोदी सरकार के 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के संसद से पास होने के बाद 9 अगस्त को भारत सरकार की ओर से नई व्यवस्था के लागू होने को लेकर तारीखों का ऐलान किया गया.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद केंद्र सरकार ने 9 अगस्त को इस संबंध में घोषणा करते हुए सरकारी आदेश जारी किया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख 31 अक्टूबर को केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) के रूप में अस्तित्व में आ जाएंगे. अविभाजित जम्मू-कश्मीर अब तक राज्य की हैसियत से था, लेकिन अब उसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया है. जबकि जम्मू-कश्मीर से अलग किए गए लद्दाख को करगिल के साथ मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है.