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जम्मू कश्मीर में कब होंगे विधानसभा चुनाव? EC की तरफ सबकी निगाहें

जम्मू कश्मीर परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक, 114 सदस्यीय विधान सभा में फिलहाल 90 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे. बाकी सीटें पाक के अवैध कब्जे वाले इलाके में हैं.

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जम्मू कश्मीर फिलहाल केंद्र शासित प्रदेश है
जम्मू कश्मीर फिलहाल केंद्र शासित प्रदेश है

जम्मू कश्मीर विधान सभा चुनाव को लेकर संसद में सरकार के बयान के साथ ही अब सबकी निगाहें निर्वाचन आयोग की ओर हैं. सरकार ने कहा हम विधान सभा चुनाव कराने को तैयार हैं. निर्वाचन आयोग कार्यक्रम बनाकर तारीखों का ऐलान जब चाहे कर दे. 

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इसके साथ ही सभी की निगाहें पीओके सहित राज्य में सीटों के नए सिरे से परिसीमन पर भी उठी हैं. इसे इसी साल मंजूरी मिली है.

केंद्रशासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर में नए परिसीमन को इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिलने के साथ ही विधान सभा चुनावों की राह में पड़ा एक और रोड़ा साफ हो गया था.

जम्मू कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज करते हुए इस केंद्र शासित प्रदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने परिसीमन और विधानसभा सीटों के बदलाव की प्रक्रिया को वैध और विधान संगत ठहराया, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच के फैसले से केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को आगे के निर्णय लेने में आसानी रहेगी.

जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दी बड़ी राहत देते हुए जस्टिस अभय एस ओक की बेंच ने सुनाया फैसला जिसमें केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के परसीमन की प्रकिया को उचित ठहराया गया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. श्रीनगर के रहने वाले हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू की याचिकाओं में कहा गया था कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है.

केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने इस दलील को गलत बताया था. 13 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नोटिस जारी किया था. तब कोर्ट ने साफ किया था कि सुनवाई सिर्फ परिसीमन पर होगी. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़े मसले पर विचार नहीं किया जाएगा.

जस्टिस संजय किशन कौल और अभय एस ओका की बेंच के सामने याचिकाकर्ता पक्ष ने दलील दी कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए आयोग का गठन संवैधानिक प्रावधानों के हिसाब से सही नहीं है.

परिसीमन में क्षेत्रों की सीमा बदली

परिसीमन में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा बदली गई है. उसमें नए इलाकों को शामिल किया गया है. सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई है, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की भी 24 सीटें शामिल हैं. यह जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 63 के मुताबिक नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार को अधिकार और शक्ति है कि वो निर्वाचन आयोग की सहमति से परिसीमन आयोग यानी डिलीमिटेशन कमीशन बना सकती है. इस बाबत केंद्र सरकार ने अपने अधिकारों का उचित प्रयोग ही किया है.

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जम्मू कश्मीर विधान सभा में माता वैष्णो देवी सहित 90 सीटें होंगी. परिसीमन आयोग ने दो बार कार्यकाल विस्तार की अपनी अवधि समाप्त होने से एक दिन पहले पिछले साल मई में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक 114 सदस्यीय विधान सभा में फिलहाल 90 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे. बाकी सीटें पाक के अवैध कब्जे वाले इलाके में हैं. 

नवगठित सीटों में रियासी जिले में श्री माता वैष्णो देवी और कटरा विधान सभा क्षेत्र भी होंगे. परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक नई विधान सभा के जम्मू क्षेत्र में 43 और कश्मीर घाटी संभाग में 47 सीटें होंगी.

इनमें से नौ सीटें अनुसूचित जातियों और सात अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित होंगी.  लोकसभा की पांच सीटों में दो-दो सीटें जम्मू और कश्मीर संभाग में होंगी जबकि एक सीट दोनों के साझा क्षेत्र में होगी. यानी आधा इलाका जम्मू संभाग का और बाकी आधा कश्मीर घाटी का हिस्सा होगा.

परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट पांच एसोसिएट सदस्यों जिनमें दो जम्मू संभाग से बीजेपी और तीन कश्मीर संभाग से एनसी के जरिए राज्य की जनता की नुमाइंदगी करने वाले सांसदों को फरवरी में ही सौंपी थी. दो हफ्ते में उन्होंने अपनी सलाह, सुझाव और आपत्तियां बताई. अब जनता ने अपनी राय दी. इन सभी आधार पर आयोग ने अंतिम रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंप दी.

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आयोग का कार्यकाल तीसरी और अंतिम बार दो महीने बढ़ाकर 6 मई 2022 तक किया गया था. लेकिन कार्यकाल पूरा होने से एक दिन पहले रिपोर्ट सौंप दी गई.

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त जज जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व में छह मार्च 2020 को परिसीमन आयोग का गठन किया था. आयोग को राज्य की नए स्वरूप के मुताबिक विधानसभा क्षेत्र पुनर्गठित करने, युक्तिसंगत बनाने, अनुसूचित जनजातियों व जातियों के लिए आरक्षित सीटें तय करने का जिम्मा सौंपा था.

जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने से पूर्व एकीकृत जम्मू कश्मीर विधान सभा में 111 सीटें थीं. इनमें से 24 पाक अधिकृत कश्मीर के लिए आरक्षित थी जिन पर चुनाव नहीं हो पाता था. शेष 87 सीटों में से चार लद्दाख, 37 जम्मू और 46 सीटें कश्मीर संभाग में थीं। अब केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में 107 सीटें हैं. इनमें प्रस्तावित नए परिसीमन के तहत सात सीटों का इजाफा कर बढ़ाकर 114 किया जाएगा.

जम्मू कश्मीर में अंतिम बार 1994-95 में हुए परिसीमन के साथ प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या में 11 सीटों का इजाफा कर 76 से 87 किया गया था. जम्मू में सीटों की संख्या 32 से 37 और कश्मीर में 42 से 46 की गई जबकि और लद्दाख में सीटें दोगुना बढ़ा कर दो से चार की गई थीं.

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सूत्रों के मुताबिक आयोग ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में परिसीमन के प्रथम प्रारूप के मुताबिक जम्मू संभाग में छह और कश्मीर संभाग में एक नए विधानसभा क्षेत्र को गठित करने की सिफारिश की है.

आयोग ने परिसीमन की प्रथम प्रारूप रिपोर्ट 20 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में हुई अपनी दूसरी बैठक में सभी सदस्यों के साथ साझा की थी। इस बैठक में नेशनल कांफ्रेंस के तीनों सदस्य शामिल हुए थे. लेकिन 2021 फरवरी में हुई  पहली बैठक का नेशनल कांफ्रेंस ने बहिष्कार किया था. दूसरी बैठक में प्रथम प्रस्तावित प्रारूप में सीटों के इजाफे वाले अनुपात पर नेशनल कांफ्रेंस ने कड़ा एतराज जताया था. इस पर आयोग ने सभी सदस्यों को अपना अपना पक्ष रखने के लिए 31 दिसंबर 2021 तक का समय दिया था.

इसके बाद सभी पक्षकारों ने अपने सुझाव, अपत्तियों और सलाह लिखित तौर पर आयोग को दी थी. लिहाजा अंतरिम रिपोर्ट में जम्मू संभाग में छह नए विधानसभा क्षेत्रों के सृजन की सिफारिश के आधार पर पता चलता है कि आयोग ने इस संदर्भ में नेशनल कांफ्रेंस की सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया है.

कश्मीर संभाग में बढ़ाई जाने वाली सीटों में उत्तरी कश्मीर के जिला कुपवाड़ा में बताई जा रही है.  जबकि जम्मू संभाग के सांबा, कठुआ, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा और ऊधमपुर जिलों में एक-एक विधानसभा सीट बढ़ाई जाएगी.

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विस्थापित कश्मीरी पंडितों और गुलाम कश्मीर के शरणार्थियों के लिए कोई सीट अब तक तो चिह्नित नहीं की गई है.

सूत्रों के मुताबिक जम्मू संभाग के जिले सांबा में बड़ी ब्राह्मणा व रामगढ़ के कुछ हिस्सों को मिला कर एक नया विधानसभा क्षेत्र तैयार बनाए जाने की योजना है. साथ ही इस अंतरिम रिपोर्ट में जम्मू संभाग के दो अनुसूचित जनजाति बहुल जिलों पुंछ में तीन और राजौरी में दो सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित किए जाने की सिफारिश भी शामिल है.

2020 में बनाए गए परिसीमनआयोग का कार्यकाल बीते साल 6 मार्च को पूरा होना था. लेकिन कोविड से उपजे हालात में आयोग अपना काम पूरा नहीं कर पाया. लिहाजा सरकार ने कार्यकाल को साल भर का विस्तार देते हुए 6 मार्च 2022 तक कर दिया.

लेकिन अब शायद एक बार और सीमित अवधि के लिए आयोग का कार्यकाल बढ़ाना पड़े क्योंकि जनता की आपत्तियों सुझावों के लिए संविधान में तय न्यूनतम अवधि के लिए ये आवश्यक हो सकता है. फिलहाल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तो परिसीमन आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद से ही अधिसूचना जारी कर जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने की कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया था.

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