कश्मीर घाटी में हालात सुधारने के लिए केंद्र सरकार एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, लेकिन आतंकी संगठन अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, आतंकी संगठन कश्मीर घाटी के भोले-भाले युवकों को पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं की शह पर भर्ती करने में जुटे हुए हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रमजान में कश्मीर में शांति के लिए भारत सरकार की पहल यानी 'सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन' के दौरान 17 मई से 4 जून तक 23 युवाओं ने आतंक का रास्ता अपनाया है.
1 महीने में 55 युवाओं ने थामी बंदूक
खुफिया सूत्रों की मानें तो 1 मई लेकर 4 जून तक 55 युवाओं ने जम्मू कश्मीर में बंदूक का रास्ता अख्तियार किया है. कश्मीर में पत्थरबाजों ने सुरक्षा बलों के इस आत्मनियंत्रण की मुहिम का जवाब भी पत्थर से ही दिया.
पत्थरबाजों ने सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन यानी 'सू' के दौरान अभी तक 47 बार पत्थरबाजी की है. एक महीने में पत्थरबाजी की ये घटनाएं 130 बार हुई हैं. आतंकियों ने 17 मई से लेकर अब तक 18 ग्रेनेड अटैक भी किए हैं. सुरक्षा बलों ने आतंकी हमलों का जवाब तो दिया लेकिन अपनी ओर से होने वाले तमाम ऑपरेशन पर लगाम लगाए रखी.
उधर गृह मंत्रालय सूत्रों ने आजतक को जानकारी दी है कि पिछले पांच दिनों में 12 ग्रेनेड ब्लास्ट कर आतंकियों ने हमले किए हैं. बावजूद इसके गृहमंत्री के घाटी दौरे के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं हुआ जो कि सात और आठ जून को है.
आपको बता दें कि ग्रेनेड हमलों की तादात गृहमंत्री की यात्रा से ठीक पहले ज्यादा बढ़ी है, जिसका मकसद कश्मीर में अशांति फैलाना है. पिछले साल रमजान के महीने में 7 ग्रेनेड हमले हुए थे, जबकि 2016 में 5 ग्रेनेड हमले हुए थे. पिछले साल रमजान में छह एनकाउंटर और एक फिदायीन हमला हुआ था. इन वारदातों के बावजूद घाटी में शांति की प्रक्रिया जारी रहेगी और सरकार लोगों को सरकार से जोड़ने की योजना पर लगातार काम करती रहेगी.
राजनाथ का कश्मीर दौराइसी रमजान के दौरान कश्मीर में बातचीत के सहारे मौजूदा हालात में रास्ता निकालने की उम्मीद में गृहमंत्री राजनाथ सिंह का दौरा भी 7 जून और 8 जून को है. 7 जून को श्रीनगर में पहुंच कर गृहमंत्री तमाम लोगों से बात करने का भरोसा जता रहे हैं, लेकिन सवाल फिर वही आकर खड़ा हो जाता है कि क्या अलगाववादियों से बातचीत होगी? क्या अलगाववादी बातचीत के टेबल पर आकर सरकार के साथ इस वक्त के माहौल को बदलने की कोशिशों में साथ देंगे?