पिछले 200 दिेनों से अधिक समय से धरने पर बैठे कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारियों ने शुक्रवार को जम्मू में बीजेपी के मुख्यालय का घेराव किया. दरअसल, सरकारी कर्मचारी कश्मीरी पंडितों में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बयान को लेकर नाराजगी है.
आजतक के एक सवाल के जवाब में एलजी मनोज सिन्हा ने कहा था कि कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी अगर काम पर नहीं लौटते हैं, तो उन्हें वेतन नहीं दे सकते.
एलजी मनोज सिन्हा ने घाटी में तैनात कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारियों और जम्मू क्षेत्र के अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों का वेतन जारी करने से इनकार कर दिया था. लेकिन हाल ही में टारगेट किलिंग के बाद वेतन देना पड़ा था.
कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का वेतन रोकने और उन्हें घाटी में वापस आने की सरकार के आदेश को लेकर कहा था कि अगर ये व्यवस्था बंद नहीं की गई तो कश्मीरी पंडित सभा (KPS) अपना आंदोलन तेज करेगी. प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत घाटी में तैनात केपी कर्मचारियों का आंदोलन बीते 182 दिनों से जारी है, जिसमें उनकी मांग है कि उन्हें घाटी से निकालकर मैदानी इलाकों में पोस्टिंग मिले.
प्रदर्शनकारियों ने कहा था कि अब समय आ गया है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार देश के अलग-अलग हिस्सों में शरणार्थी के रूप में रह रहे कश्मीरी हिंदू समुदाय को वापस घाटी में लाए और उनका सुरक्षा-सम्मान के साथ पुनर्वास करे. यूथ ऑल इंडिया कश्मीरी समाज के अध्यक्ष आर के भट और समुदाय के कई अन्य लोगों ने शहर में प्रेस क्लब के पास नारे लगाए और विरोध प्रदर्शन किया था.
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