जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को खीर भवानी मेले के मौके पर एक बार फिर विस्थापित कश्मीरी पंडितों की सकुशल घरवापसी करवाने गारंटी दी है. उन्होंने कहा कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी और पुनर्वास के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है और हरसंभव कोशिश कर रही है.
खीर भवानी मंदिर पर लगता है मिलन का मेला
इससे पहले कश्मीर घाटी में खीर भवानी मंदिर में रविवार को हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने खीर भवानी मेले में शिरकत की. खीर भवानी मेला घाटी में कश्मीरी पंडितों का सब से खास त्यौहार है. यह कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन के बाद यह मेला विस्थापित पंडितों को एक-दूसरे से मिलने का मौका देता है. यही कारण है कि अब इस सालाना मेले को मिलन का मेला भी कहा जाता है.
खीर भवानी मेले में आते हैं देश भर से कश्मीरी पंडित
कश्मीर घाटी के गांदरबल जिले में तुलमुल स्थित हजारों साल पुराने मां दुर्गा मंदिर में इस अवसर पर पूजा करने की कश्मीरी पंडितों के बीच बड़ी मान्यता है. आतंकवाद बढ़ने के बाद कश्मीर से पलायन कर चुके कश्मीरी पंडित इस खास दिन यानी ज्येष्ठ अष्टमी के अवसर पर मंदिर में हाजिरी देने से नहीं चूकते. भले ही वह कहीं भी क्यों न रहते हों.
मेले के आयोजन में जुटते हैं स्थानीय मुसलमान
यह मेला कश्मीर में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक भी है. इस मेले में घाटी की हिंदू आबादी के साथ ही स्थानीय मुसलमान भी बढ़-चढ़ कर शामिल होते है. यहां तक कि पूजा सामग्री से लेकर श्रद्धालुओं की सुविधा का पूरा इंतजाम भी यही लोग करते हैं.
अपनों से मिलने आते हैं पलायन कर चुके पंडित
कश्मीर में बेहतर हो रहे हालात से अब यह उम्मीद भी जगी है कि घाटी से पलायन कर चुके कई पंडित परिवार घाटी वापस लौटने का मन बना रहे हैं. घाटी के तुलमुल के खीर भवानी मंदिर में ज्येष्ठ अष्टमी के मौके पर देश के कोने-कोने से कश्मीरी पंडित मंदिर में पहुंचते हैं. यही वह मौका होता है जब सालों से बिछड़े रिश्तेदार, पड़ोसी और दोस्तों से यहां मिलते हैं.