जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में एक बहुत ही दिलचस्प मामला सामने आया है जिसमें जम्मू के राजौरी जिले के एक 70 वर्षीय नागरिक मोहम्मद मुंशी खान ने कोर्ट में रिट पेटीशन दायर करते हुए कहा है कि भारत सरकार उसकी भारतीय नागरिकता खारिज कर रही है क्योंकि वह कुछ साल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में रहा है. लेकिन राज्य हाईकोर्ट ने मुंशी खां की पाक-अधिकृत कश्मीर वापस भेजने पर रोक लगा दी है और अब केस जुलाई के पहले सप्ताह में लगेगा.
भारत और पाकिस्तान की नागरिकता के बीच फंसे 70 वर्षीय मोहम्मद मुंशी खान का कहना है कि वह राजौरी जिले का रहने वाला है और भारतीय नागरिक है. इसके लिए वह कोर्ट में अपना भारतीय पासपोर्ट, चुनाव पहचान पत्र और जम्मू कश्मीर का स्टेट सब्जेक्ट के अलावा राशन कार्ड और कई अन्य दस्तावेज जमा करवा चूका है.
यह मामला जितना दिलचस्प है उतना ही पेंचीदा भी है क्योंकि सन 1965 में जब भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो मुंशी खान अपने पिता के साथ पीओके चला गया और वह फिर वहीं बस गया. लेकिन कुछ साल वहां रहने के बाद वह फिर भारत लौट आया. मगर वहां के पासपोर्ट पर उसके बाद फिर से एक बार मुंशी खान पाक-अधिकृत कश्मीर गया जहां उसने निकाह भी किया.
मगर उसकी पत्नी की वहीं मौत हो गयी और वो फिर एलओसी क्रॉस करके भारत आ गया. इसके बाद उसकी यहां दूसरी शादी हुो गई. एक बार फिर से मुंशी खान पाकिस्तान गया और तब उसकी पत्नी भी वहां गयी. फिर 1988 को मुंशी खान और उसकी भारतीय पत्नी वापस लौटे और फिर यहीं बस गए.
अब मुंशी खान के आठ बच्चे हैं जिनकी नागरिकता भारत की है और उसका एक दामाद फौज में है. अब केंद्र सरकार के ग्रृह मंत्रालय की ओर से एक जांच के बाद इस वर्ष 7 मई को एक आदेश जारी किया गया कि मुंशी खान पाकिस्तानी नागरिक है और उसके भारतीय नागरिकता के सभी दस्तावेज खारिज की जाए.
दूसरी ओर मुंशी खान के वकील का कहना है कि उन्होंने कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा है और कोर्ट ने उनकी भारतीय नागरिकता को खारिज करने के आदेश पर फिलहाल स्टे दे दिया है. अब इस मामले की अगली तारीख जुलाई के पहले हफ्ते में है.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत और पाकिस्तान की नागरिकता के बीच फंसा मोहम्मद मुंशी खान को इंसाफ मिल पता है या नहीं.