जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स यूनियन ने शनिवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से दिल्ली की टॉप सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की प्रवेश परीक्षा का श्रीनगर में सेंटर बनाने की अपील की है. एसोसिएशन ने कहा कि जेएनयू, डीयू, जामिया और एएमयू में कश्मीर के सैकड़ों छात्र 2022-23 की प्रवेश परीक्षा में शामिल हो रहे हैं. लेकिन इनका केंद्र दिल्ली और अलीगढ़ में है. छात्रों को दूसरे सप्ताह से शुरू होने वाली प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होना है.
एसोसिएशन ने कहा कि चिलचिलाती गर्मी और आर्थिक तंगी के बीच दूर-दराज के इलाकों में रहने वालों के लिए दिल्ली और अलीगढ़ पहुंचना संभव नहीं होगा. जामिया और एएमयू दोनों ने कुछ सीटें कश्मीरी छात्रों और डिस्टेंस मोड के छात्रों के लिए आरक्षित की हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित होने के बावजूद, अधिकारी यहां श्रीनगर में परीक्षा केंद्र सुनिश्चित करने में विफल रहे.
हवाई सफर करना नहीं है संभव
छात्रसंघ की ओर से कहा गया है कि जामिया और एएमयू ने पीजी और यूजी पाठ्यक्रमों सहित अपने विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा कार्यक्रम जारी किया है. दलित छात्रों के लिए दूसरे राज्यों की यात्रा के लिए हवाई टिकट का खर्च वहन करना संभव नहीं है. छात्रों और उनके अभिभावकों के कई अनुरोधों के बावजूद इन विश्वविद्यालयों ने अभी तक श्रीनगर में परीक्षा केंद्रों की घोषणा नहीं की है. उनके लिए पूरे रास्ते यात्रा करना और अन्य राज्यों में आवास पर पैसा खर्च करना बहुत असुविधाजनक है, अगर उनके परीक्षा केंद्रों की व्यवस्था स्थानीय स्तर पर नहीं की जाती है.
जाना और रहना है काफी महंगा
जम्मू-कश्मीर छात्र संघ का कहना है कि औसत आय वर्ग के छात्रों के लिए एक गंभीर स्थिति है, जो यात्रा और रहने का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं. अधिकांश छात्र वंचित समुदायों से हैं. सड़क मार्ग से दिल्ली जाने में बहुत समय लगता है, विशेष रूप से जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग से. दिल्ली और अलीगढ़ जाने और फिर रहने के लिए जगह की तलाश करनी होगी. उसके बाद परीक्षा सेंटर का पता लगाना होगा. कुछ छात्रों ने एक से अधिक विषय लिए हैं. उन्हें ठहरने के लिए और भी समय लगेगा. इसमें काफी समय बर्बाद होता है.
श्रीनगर में बनाएं प्रवेश परीक्षा केंद्र
जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से छात्रसंघ की ओर से श्रीनगर में छात्रों के लिए वैकल्पिक परीक्षा केंद्र स्थापित करने का अनुरोध किया गया है. एसोसिएशन ने मांग की है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो कई छात्र परीक्षा देने से चूक सकते हैं.