जम्मू- कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष यासीन मलिक के खिलाफ जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत केस दर्ज किया गया है. इसके बाद उन्हें जम्मू जिले में स्थित कोट बलवल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. PSA के तहत यासीन मलिक दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है. जेकेएलएफ से जुड़े सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. सूत्र का कहना है कि मलिक साहब के खिलाफ पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन्हें जम्मू जिले में स्थित कोट बलवल जेल में स्थानांतरित किया जाएगा.
जेकेएलएफ प्रमुख को 22 फरवरी को एहतियातन हिरासत में लिया गया था और उन्हें श्रीनगर में कोठीबाग पुलिस स्टेशन में रखा गया था. यासीन मलिक को भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच कोट बलवल जेल में स्थानांतरित गया. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हाई कोर्ट में अपील दायर यासीन मलिक के खिलाफ सभी मामलों को फिर से खोलने को कहा था. सीबीआई ने हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल से मलिक के खिलाफ सभी मामलों को खोलने की अपील की थी. इस मामले में अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी. मलिक को सीबीआई की अपील अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया गया था. लेकिन इससे पहले ही उन्हें कोट बलवल जेल शिफ्ट कर दिया गया.
क्या हैं आरोप
वहीं, सीबीआई ने कहा कि यह कदम प्रक्रियात्मक है और इस संबंध में हाई कोर्ट में अर्जी दायर की गई है. यासीन मलिक दो मामलों में आरोपी हैं. स्कवॉड्रन लीडर सहित पांच भारतीय जवानों की हत्या में वह आरोपी हैं. दूसरा मामला डॉ. रुबिया सईद को अगवा किए जाने का है. डॉ. रुबिया सईद को अगवा किए जाने के मामले में सीबीआई ने 22 सितंबर, 1999 को चार्जसीट दायर किया था. यासीन मलिक के खिलाफ धारा 120-बी, 368, 364, 109 और रणबीर दंड संहिता की धारा 34 और टाडा (अब नहीं है) की धारा 3 और 27 के तहत केस दर्ज है.
बता दें कि मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉ. को अगवा कर 8-13 दिसंबर, 1989 के दौरान दो अलग- अलग घरों में रखा गया था. इस दौरान डॉ. सईद को जेकेएलएफ के चरमपंथी जावेद इकबाल के घर रखा गया था. इस मामले में 24 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी. इसमें यासीन मलिक के साथ जावेद इकबाल, मोहम्मद याकूब पंडित, इकबाल अहमद गंगरू, अशफाक माजिद वानी आदि शामिल हैं.