पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का ताल्लुक कश्मीर से है. कश्मीर में बाढ़ और बचाव कार्य पर उन्होंने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर घाटी में राहत कार्य तेज करने की मांग की. मुलाकात के बाद गुलाम नबी आजाद ने आजतक खास बातचीत की और कश्मीर के हालात पर अपनी राय जाहिर की.
सवाल- गृह मंत्री से आप मिले, क्या बातें हुईं आपकी उनसे?
जवाब- बाकी चीजों के बारे में उन्हें जानकारी है ही, इस वक्त प्राथमिकता है कि पानी निकाला जाए और लोगों की जान बचाई जाए. अभी तक कॉलोनियों में जो 8-10 फीट पानी घुसा है उसे निकालने की कोई गुंजाइश नहीं थी, क्योंकि झेलम का जलस्तर बढ़ा था. उसके फ्लड चैनल का लेवल बढ़ा था लेकिन अब उनके आस-पास के इलाकों से पानी निकाल कर दरिया में डाला जा सकता है. हमारे जो पंप्स थे वो तो पानी में डूब गये, सड़ गए इसलिये मैंने उनसे गुजारिश की कि देश के दूसरे हिस्सों से डी-वाटरिंग पंप्स कश्मीर लाया जाए. दूसरा, पानी निकलने के बाद 4-5 फीट तक कीचड़ बचेगा, उसे निकालने के लिए मशीनें मंगाईं जाएं ताकि कीचड़ भी निकाला जाए.
सवाल- पानी निकलने के बाद क्या मुश्किलें सामने आएंगी?
जवाब- सबसे बड़ी मुश्किल जो अब आएगी, वो ये कि बीमारियां बहुत फैलेंगी. बड़े पैमाने पर महामारी का डर है. मैंने कुछ दिनों पहले हेल्थ मिनिस्टर और उनके सीनियर अधिकारियों को बताया कि 2-3 हजार डॉक्टरों का इंतेजाम करना पड़ेगा. अपने स्तर पर मैंने जितनी भी दवा कंपनियां हैं उनसे दवा के लिये गुजारिश की है, हैदराबाद और बेंगलुरु से डॉक्टर्स को कश्मीर भेजने की कोशिश की है, वो अब जाना शुरू हो गए हैं, तो अब हमको देशभर से डॉक्टर्स वहां भेजने होंगे. ताकि आने वाली मुश्किल से निपटा जा सके.
सवाल- एयरफोर्स और आर्मी के लोग वहां रेस्क्यू करते हुए दिख रहे हैं, उनकी तारीफ हो रही है. लेकिन राजनेता और दूसरे लोग दिखाई नहीं दे रहे हैं?
जवाब- हम सब लोग, पूरे देश के लोग आर्मी और एनडीआरएफ की तारीफ कर रहे हैं, लेकिन मुझे बहुत अफसोस है कि हजारों की तादाद में लोकल नौजवान, एनजीओ, सियासी पार्टियां चाहे वो मेनस्ट्रीम की हों या छोटी पार्टियां, अपने हजारों वर्कर के साथ बिल्कुल फील्ड में काम कर रहे हैं. लंगर खोल रहे हैं, दवाइयां पहुंचा रहे हैं. घर-घर पहुंच रहे हैं.
लोकल नौजवान जिनका किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध नहीं है वो दरवाजे निकाल कर, खिड़कियां निकालकर, अलमारियां तोड़ कर बोट बना रहे हैं. टायर का इस्तेमाल कर रहे हैं. यानी जो कुछ भी पानी में तैर सकती है उसका इस्तेमाल कर हजारों जानों को बचा चुके हैं. लेकिन ये चीजें सामने नहीं आ रही है. कुछ इसलिए सामने नहीं आ रही हैं कि उन्हें दिखाया नहीं जाता.
मुझे अफसोस है कि ये जानबूझ कर हो रहा है कि जो लोकल लोग और लोकल पार्टियां काम रही हैं उन्हें ना दिखाया जाए. मैं खुद नौ दिन से वहां हूं, मैंने 4-5 दर्जन से ज्यादा बाइट्स दीं लेकिन कहीं नहीं दिखाई गईं. हां, आप हेलिकॉप्टर पे चले जाओ, तो जरूर दिखाई जाएंगी. लेकिन अगर आप जमीन पर काम करोगे, तो नहीं. हमारी तरफ से हजारों की तादाद में लोग और संस्थाएं, टीमें जमीन पर काम कर रहे हैं जिनके काम को दिखाया नहीं जा रहा है.
आर्मी और एयरफोर्स के काम कि हम भी तहे दिल से तारीफ करते हैं, लेकिन मेरी मीडियाकर्मियों से गुजारिश है कि जिस तरह से उनके काम की सराहना हो रही है उसी तरह से जो लोकल संस्थाएं काम कर रही हैं उनकी भी सराहना होनी चाहिए.