नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन पार्टी के उन अन्य नेताओं के साथ बैठक की जो पिछले एक साल से नजरबंद थे. बैठक के बाद सभी नेताओं ने एक सुर में आर्टिकल 370 को फिर से बहाल करने की मांग की है. पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने फारूक अब्दुल्ला के बयान का समर्थन करते हुए लिखा कि महबूबा मुफ्ती ने फारूक अब्दुल्ला के स्टेट्समैनशिप की प्रशंसा की है. जिस तरह से उन्होंने एकजुटता दिखाते हुए दिल्ली में बैठी सरकार और आर्टिकल 370 के खिलाफ मोर्चा संभाला है. यह समय है जब सभी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एक साथ खड़े हों. इसके साथ ही इल्तिजा ने ट्विटर हैंडल पर कई दलों को टैग भी किया है.
वहीं जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक पार्टी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने इस बैठक पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, 'काफी संतोषजनक दिन था. हमलोगों को यकीन है कि एक साथ मिलकर ही इस हालात से बाहर निकल सकते हैं. यह अब सत्ता हासिल करने की बात नहीं रह गई है. यह हमारे अधिकार को वापस पाने के संघर्ष का मुद्दा है. डॉ. फारूक, महबूबा और तारिगामी.. आपसब का शुक्रिया.'
वहीं जम्मू-कश्मीर में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र रैना ने आर्टिकल 370 को लेकर कश्मीर के राजनीतिक दलों के संयुक्त बयान की निंदा की है. उन्होंने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद आर्टिकल 370 की ही देन है. इसलिए इसे फिर से बहाल करने का तो सवाल ही नहीं उठता है.
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संयुक्त बयान में क्या कहा गया
इससे पहले शनिवार को कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से संकल्प लिया कि वे जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त 2019 से पहले की तरह विशेष दर्जे की बहाली के लिए संघर्ष करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उठाया गया कदम ''द्वेष से पूर्ण अदूरदर्शी'' और ''पूरी तरह असंवैधानक'' था. विभिन्न दलों ने कहा कि वे 'गुपकर घोषणा' से बंधे हुए हैं, जो चार अगस्त 2019 को नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के गुपकर आवास पर सर्वदलीय बैठक के बाद घोषित की गई थी.
चार अगस्त 2019 की बैठक के बाद प्रस्ताव में कहा गया था कि दल सर्वसम्मति से घोषणा करते हैं कि जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और विशेष दर्जे की रक्षा के लिए वे एकजुट रहेंगे. इसके एक दिन बाद पांच अगस्त को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेने और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने की घोषणा की थी.
‘गुपकर घोषणा' में कहा गया था, ''अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 में संशोधन या इन्हें खत्म करना, असंवैधानिक सीमांकन या राज्य का बंटवारा जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख के लोगों के खिलाफ आक्रामकता होगा.''
नेशनल कॉन्फ्रेंस के माध्यम से जारी बयान में कहा गया कि पिछले वर्ष चार अगस्त को 'गुपकर घोषणा' पर हस्ताक्षर करने वाले दलों के बीच बहुत कम संवाद हो सका क्योंकि सरकार ने ''कई पाबंदियां और दंडात्मक रोक'' लगा रखी थीं, जिनका उद्देश्य ''सभी सामाजिक और राजनीतिक बातचीत को रोकना था.''
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घोषणा पत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, जेकेपीसीसी के जीए मीर, माकपा के एमवाई तारीगामी, जेकेपीसी के सजद गनी लोन, जेकेएएनसी के मुजफ्फर शाह के नाम शामिल है.