जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद टेलीफोन, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं. इन सब मसलों के बीच पत्रकारिता की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की मांग करते हुए कश्मीर टाइम्स की एग्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है जिस पर मंगलवार को सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए मुद्दों पर जम्मू-कश्मीर सरकार को ध्यान देने को कहा. याचिककर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कश्मीर में टेलीफोन, मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं बंद करने का मुद्दा उठाया है. वहीं अनुराधा भसीन ने कहा कि इन समस्याओं के चलते हम कश्मीर टाइम्स के श्रीनगर संस्करण का प्रकाशन नहीं कर पा रहे हैं.
अनुराधा भसीन ने कहा कि हम 11 अक्टूबर से अखबार के छोटे संस्करण को प्रकाशित कर पा रहे हैं.कश्मीर घाटी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, प्रेस की आजादी, जानने का अधिकार सब पर बंदिश है. डेटा सर्विस, प्रीपेड फोन अभी भी काम नहीं कर रहा है. आज 5 नवंबर है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि कश्मीर घाटी में एसएमएस सेवाएं बंद हैं. बंद के 90 दिन बाद भी बस और टैक्सियों सहित सार्वजनिक परिवहन पर पाबंदी है. अनुराधा भसीन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इंटरनेट का इस्तेमाल जानने के अधिकार, सूचना के अधिकार और प्रेस की आजादी का अपरिहार्य हिस्सा है.
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार के हलफनामे से लगता है कि गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण इन बंदिशों को उचित ठहराया गया था.
बाल अधिकार कार्यकर्ता की याचिका
Supreme Court has asked Juvenile Justice Committee of J&K High Court,to file a detailed fresh report, while hearing
the plea filed by child rights activist, Enakshi Ganguly, claiming detention of children in J&K,after abrogation of #Article370 & subsequent lockdown in the Valley pic.twitter.com/DyUiijBvnp
— ANI (@ANI) November 5, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने बाल अधिकार कार्यकर्ता एनाक्षी गांगुली की याचिका पर संज्ञान लिया है और जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के जूवेनाइल जस्टिस कमेटी से रिपोर्ट तलब किया है. याचिका में दावा किया गया है कि जम्मू-कश्मीर से 360 को हटाने के फैसले के बाद से बच्चों को हिरासत में रखा गया है.