हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की ओर से पंजाब के अलगाववादियों और अन्य के लिए आयोजित सेमिनार को जम्मू-कश्मीर सरकार ने विफल कर दिया है. सरकार की ओर से कहा गया कि राज्य में भारत विरोधी किसी भी गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके साथ ही अधिकारियों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कई शीर्ष नेताओं को नजरबंद कर दिया है.
गौरतलब है कि पार्टी के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी पिछले हफ्ते से ही नजरबंद हैं. गिलानी के एक सहयोगी ने कहा, 'गिलानी के आवास को एक अनाधिकारिक जेल में तब्दील कर दिया गया है. किसी को भी परिसर के अंदर या परिसर से बाहर जाने की अनुमति नहीं है. उन्होंने कहा कि गिलानी जहां पिछले हफ्ते से नजरबंद हैं, वहीं हुर्रियत के प्रवक्ता मोहम्मद अशरफ सहराय, अयाज अकबर और राजा मेहराजुद्दीन को शनिवार को नजरबंद किया गया.
हुर्रियत 'भारतीय फासीवाद का विरोध' पर सेमिनार का आयोजन करने वाला था, जिसमें कई अलगाववादी नेताओं सहित सिख समूह और ईसाई समुदाय के प्रतिनिधि हिस्सा लेने वाले थे. कुछ दिन पहले हुर्रियत के एक प्रवक्ता ने कहा था कि हर क्षेत्र के लोग सेमिनार में अपने विचार रखेंगे. जिन लोगों को सेमिनार में आमंत्रित किया गया है उनमें अकाली दल (अमृतसर) के नेता सिमरनजीत सिंह मान, दल खालसा के नेता कंवरपाल सिंह, मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और ईसाई समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हैं.
उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने शुक्रवार को जम्मू में कहा था कि सरकार राज्य में भारत विरोधी गतिविधियों को अनुमति नहीं देगी. सेमिनार के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर की धरती पर इस तरह की कोई रैली या सेमिनार की अनुमति नहीं दी जाएगी.' पहल की निंदा करते हुए गिलानी ने कहा कि सरकार शांतिपूर्ण कार्यक्रमों के प्रति भी असहिष्णुता दिखाती है. गिलानी ने एक बयान में कहा, 'सरकार ने मुफ्ती मोहम्मद सईद के नारे बैटल ऑफ आइडियाज को पूरी तरह दबा दिया है.'
-इनपुट भाषा से