कश्मीर घाटी में शांति स्थापित करने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को बातचीत का रास्ता अपनाने का ऐलान किया. राजनाथ की इस घोषणा के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री का ट्वीट आया और उन्होंने मोदी सरकार की इस पहल का स्वागत किया. जबकि विरोधियों ने अपने ही अंदाज में आलोचना शुरू कर दी.
महबूबा मुफ्ती ने शांति बहाली के लिए बातचीत की पहल पर कहा कि घाटी की अवाम हथियारों में फंस गई है और वो इससे बाहर निकलना चाहती है. मुफ्ती ने कहा, 'ये बहुत ही अच्छी पहल है और ये कामयाब होनी चाहिए'.
सिर्फ इतना ही नहीं, महबूबा मुफ्ती ने सरकार के फैसले के साथ बातचीत के लिए केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा की भी तारीफ की.
'पाकिस्तान भी पार्टी'
राजनाथ सिंह ने अलगाववादियों से सीधे बातचीत के सवाल पर जवाब दिया कि दिनेश्वर शर्मा समस्या का समाधान निकालने के लिए किसी से भी बात करने के लिए स्वतंत्र है. यानी कश्मीर में शांति बहाली के लिए किसी भी पार्टी से बात करने की उन्हें छूट है.
इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने सरकार की इस पहल को पाकिस्तान एंगल दे दिया. अब्दुल्ला ने कहा कि घाटी की समस्या में पाकिस्तान भी एक पार्टी है. उन्होंने कहा कि सिर्फ जम्मू-कश्मीर के लोगों से बातचीत नहीं बल्कि पाकिस्तान से भी बात करनी पड़ेगी.
दरअसल, कश्मीर मसले पर पाकिस्तान भी खुद को एक पार्टी के तौर पर पेश करता है. वहीं दूसरी तरफ घाटी में मौजूद अलगाववादी ताकतें वादी की तरफ से बातचीत का पक्ष रखती हैं. इनमें हुर्रियत से लेकर जेकेएलएफ तक शामिल हैं. ऐसे में जब मोदी सरकार ने गोली और गाली के बजाय गले लगाकर मुद्दे का हल निकालने की पहल की है, तब फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को पार्टी बताकर मामले को नया मोड़ दे दिया है.
बता दें कि पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा को कश्मीर में बातचीत के लिए भारत सरकार का राष्ट्रीय प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है. दिनेश्वर शर्मा का जन्म बिहार में हुआ है और वो केरल कैडर (1976) के आईपीएस ऑफिसर हैं. वो आईबी प्रमुख रहे चुके हैं. उन्होंने पुलिस में कई अहम पदों पर काम किया है.