जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कठुआ रेप और हत्या के मामले मे मुख्य अभियुक्त के वकील असीम साहनी को राज्य के एडिशनल एडवोकेट जनरल के रूप में नियुक्त कर दिया है.
दरअसल वकील असीम साहनी का नाम राज्य के कानून विभाग द्वारा जारी की गई एडिशनल एडवोकेट जनरल, डिप्टी एडवोकेट जनरल और सरकारी वकीलों की लिस्ट मे सातवें नंबर पर है.
Lawyer Aseem Sawhney, a counsel representing the main accused in Kathua rape and murder case, has been appointed Additional Advocate General by Jammu and Kashmir administration
— ANI (@ANI) July 18, 2018
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार से बीजेपी के समर्थन वापसी के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू है. ऐसे में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन के टूटने की वजहों में से एक कठुआ रेप और हत्या कांड के मुख्य अभियुक्त के वकील की उच्च पद पर नियुक्ति चौंकाने वाली है.
इस बीच एआईएमआईएम के प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि कठुआ में मुस्लिम बकरवाल समुदाय की 8 साल की बच्ची के रेप और हत्या के मुख्य आरोपी के वकील असीम साहनी की नियुक्ती एडिशनल एडवोकेट जनरल के तौर पर की गई है.... प्रधानमंत्री मोदी के बेटी बचाओ, ट्रिपल तालाक और महिला अधिकार के सभी वादे झूठे हैं.
10 जनवरी 2018 को जम्मू-कश्मीर के कठुआ के पास खानाबदोश बकरवाल समुदाय की एक 8 साल की बच्ची अपने घर के पास से गायब हो गई थी. बाद में पुलिस ने उसका शव नजदीक के जंगल से बरामद किया. जब शव का पोस्टमॉर्टम किया गया तब यह बात सामने आई कि नाबालिक लड़की के साथ रेप करने के बाद उसकी हत्या की गई. जिसके बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी. जिसमें 4 पुलिसकर्मियों के साथ 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया.Aseem Sawhney, a lawyer representing main accused in rape and murder of 8-year-old Muslim Bakerwal girl in Kathua has been appointed as Additional Advocate General by Jammu and Kashmir government... Beti Bachao is a bloody load of .. Modi talks about TT & Muslim Women All lies
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 18, 2018
इस मामले ने राजनीतिक रंग तब ले लिया जब रेप और हत्या के आरोपियों की गिरफ्तारी के विरोध में जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल बीजेपी के मंत्री समेत नेताओं ने जुलूस निकाले. जिसे लेकर रेप और हत्या के इस नृशंस मामले को लेकर कश्मीर की जनता के गुस्से को देखते हुए तत्कालीन महबूबा सरकार पर दबाव बढ़ने लगा. लिहाजा जनता के गुस्से को शांत करने के लिए सरकार में मंत्री लाल सिंह को इस्तीफा देना पड़ा था.