जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग के मामलों के बाद घाटी में काम करने वाले कश्मीरी पंडित खौफ में हैं. वह लगातार सरकार से कश्मीर में जान को खतरा होने की बात कहते हुए जम्मू या फिर किसी सुरक्षित जगह ट्रांसफर करने की मांग कर रहे हैं. इसके लिए कश्मीरी पंडित सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बीच जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने विरोध कर रहे कश्मीरी पंडितों से कर्मचारियों को काम पर वापस लौटने को कहा.
शनिवार को जम्मू में कश्मीरी पंडितों के जगती शरणार्थी शिविर का दौरा करने पहुंचे मनोज सिन्हा से कई सरकारी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने उन्हें जम्मू स्थानांतरित करने का आग्रह किया. इस दौरान एलजी ने कर्मचारियों में से बातचीत की और उन्हें काम पर लौटने के लिए कहा. एलजी ने कहा कि कुछ लोग कर्मचारियों को गुमराह कर रहे हैं. हालांकि, कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि उनके पास घाटी में सरकारी आवास नहीं है, जहां वे रह सकें. इस पर एलजी ने कहा कि सभी मुद्दों पर गौर किया जा रहा है.
बता दें कि 2008 में घोषित प्रधान मंत्री के रोजगार पैकेज के तहत उनके चयन के बाद भर्ती किए गए लगभग 4,000 कश्मीरी पंडित घाटी में विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं. हालांकि, पिछले साल 12 मई को बडगाम जिले में कार्यालय के अंदर आतंकवादियों द्वारा राहुल भट की गोली मारकर हत्या करने के बाद कई कर्मचारी जम्मू भाग गए थे, जिसे टारगेट किलिंग का मामला बताया गया था. इसके बाद से कश्मीरी पंडित घबराए हुए हैं और सरकार से सुरक्षित इलाकों में ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं.
राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखा था पत्र
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कश्मीरी पंडितों की समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधिमंडल ने मुझसे मिलकर अपने दुखद हालात बताए. आतंकियों की टारगेटेड किलिंग के शिकार कश्मीरी पंडितों को बिना सुरक्षा गारंटी घाटी में जाने के लिए विवश करना निर्दयी कदम है. आशा है कि आप इस विषय पर उचित कदम उठाएंगे.