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हाफिज सईद के मुकाबले क्यों ऐतिहासिक होगा मसूद अजहर पर UN का बैन?

कूटनीतिक तौर पर भारत के लिए ये जीत ऐतिहासिक इसलिए भी है क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी आतंकी को जम्मू-कश्मीर में किसी हमले के लिए जिम्मेदार मानकर उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया गया है.

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जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर
जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर

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आतंक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हिंदुस्तान को बड़ी कामयाबी मिली है. एक लंबी बहस के बाद संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित कर दिया है. अब तक चीन इस मुद्दे पर वीटो लगाता रहा है लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से चीन अपना वीटो हटाने को तैयार हो गया है.

कूटनीतिक तौर पर भारत के लिए ये जीत ऐतिहासिक इसलिए भी है क्योंकि ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी आतंकी को जम्मू-कश्मीर में किसी हमले के लिए जिम्मेदार मानकर उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया गया है.

दरअसल, अभी तक भारत के जिन दुश्मनों को ग्लोबल आतंकी बनाया गया है उसमें लश्कर-ए-तैयबा के मुखिया हाफिज़ सईद शामिल है. हाफिज सईद पर जम्मू-कश्मीर नहीं बल्कि मुंबई में हमला करने का आरोप है. लेकिन मौलाना मसूद अजहर का मामला इससे अलग होता है.

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कश्मीर से जुड़ा रहा है मसूद का काला चिट्ठा

पाकिस्तान निवासी मसूद अजहर का पूरा इतिहास जम्मू-कश्मीर से ही शुरू होता है, फिर चाहे वह कंधार कांड हो या फिर अब पुलवामा में हुआ बड़ा आतंकी हमला. दरअसल, 90 के दशक से ही मसूद अजहर जम्मू-कश्मीर में एक्टिव रहा है. 1994 में उसे श्रीनगर से गिरफ्तार किया गया था. मगर, कंधार कांड के बाद भारत सरकार को उसे रिहा करना पड़ा था. उसी के बाद से वह भारत के लिए चिंता का विषय बन गया.

भारत से रिहा होने के बाद मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद नाम का संगठन बनाया, जिसने अभी तक हिंदुस्तान में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दिया है. भारत में किन हमलों के पीछे जैश-ए-मोहम्मद का हाथ...

2001 में संसद पर हमला

2016 में पठानकोट हमला

2019 में पुलवामा आतंकी हमला

ये तो वो आतंकी हमले हैं, जिनका ध्यान पूरी दुनिया की तरफ गया. लेकिन इसके अलावा भी कश्मीर में रोजाना जो छोटे आतंकी हमले होते हैं या सेना के साथ मुठभेड़ होती हैं. उसमें भी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शामिल रहते हैं.

कश्मीर का फैक्टर क्यों अहम?

दरअसल, जम्मू-कश्मीर में हिंसा की वजह से ग्लोबल आतंकी घोषित किया जाना एक बड़ी घटना है. वो इसलिए क्योंकि इस क्षेत्र को पूरी दुनिया अभी तक विवादित मानती रही है और हर बार ये संदेश देती रही है कि इस विवाद को पहले दोनों देशों को बातचीत कर सुलझाना चाहिए.

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इतना ही नहीं पाकिस्तान भले ही दूसरे देशों को मदद मांगता रहा हो, लेकिन भारत किसी भी तीसरे देश की एंट्री का विरोध करता रहा है. हालांकि, भारत ने हर बार कहा है कि जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए पाकिस्तान की जमीन का ही इस्तेमाल होता रहा है.

पाकिस्तान भी लगातार इस बात का विरोध कर रहा था कि अगर पुलवामा के साजिशकर्ताओं के नाम से जैश-ए-मोहम्मद का नाम हटता है तो वह भी ग्लोबल आतंकी घोषित करवाने के लिए सपोर्ट करेगा.

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