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जम्मू और कश्मीर में डिस्ट्रिक्ट डेवेलपमेंट काउंसिल (डीडीसी) के नवनिर्वाचित सदस्यों को केंद्र शासित प्रदेश के 20 जिलों में संबंधित डिप्टी कमिश्नरों ने इस हफ्ते शपथ दिलाई. अधिकतर सदस्यों ने हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में शपथ ली. लेकिन जम्मू क्षेत्र से पांच सदस्यों ने संस्कृत में शपथ लेकर हर किसी को हैरान किया. इनमें से तीन सदस्य उधमपुर जिले से और एक-एक साम्भा और कठुआ जिलों से थे. इन पांचों सदस्यों के शपथ लेने के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गए.
साम्भा जिले के विजयपुर-बी से शिल्पा दुबे, कठुआ जिले के हीरानगर से अभिनंदन शर्मा, उधमपुर जिले के खून से जूही मन्हास, लट्टी मारोठी से पिंकी देवी और जगानूं से परीक्षत सिंह ने संस्कृत में शपथ ली. ये पांचों सदस्य बीजेपी के टिकट पर विजयी हुए.
1) शिल्पा दुबे
साम्भा जिले के विजयपुर-बी से निर्वाचित शिल्पा दुबे ने अपने घर पर इंडिया टुडे से बातचीत में कहा, “मैंने संस्कृत में शपथ इसलिए ली क्योंकि इसे देववाणी कहा जाता है. मैं डीडीसी सदस्य चुनी गई हूं. ये मेरे लिए नई जिम्मेदारी है. मैंने शपथ लेते वक्त नहीं सोचा था कि इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाएगा. मैं लोगों की प्रतिक्रिया से अभिभूत हूं.
शिल्पा जम्मू यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं और उन्होंने अपने ननिहाल में संस्कृत सीखी. शिल्पा के मुताबिक बचपन में ननिहाल में उन्होंने श्रीमदभगवद्गीता, रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथ पढ़े. मंत्रों का जाप करने से उन्हें संस्कृत भाषा सीखने में मदद मिली. शिल्पा का कहना है कि उनकी संस्कृत भाषा में महारत नहीं है लेकिन वो इसे आसानी से पढ़ लेती हैं.
शिल्पा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के स्कूलों में संस्कृत को विषय के तौर पर पढ़ाए जाने के लिए वचनबद्धता जाहिर की. उन्होंने जम्मू-कश्मीर के अन्य जिलों में संस्कृत पढ़ाए जाने के लिए कोशिश करने की बात भी कही.
2) जूही मन्हास
उधमपुर जिले के खून निवार्चन क्षेत्र से निर्वाचित जूही मन्हास जम्मू यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं. उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमए किया है. जूही के मुताबिक संस्कृत को दोबारा प्रचलित भाषा बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए.
जूही ने कहा, “हम संस्कृत भाषा में घर पर प्रार्थना करते हैं. ये देवों की भाषा होने की वजह से देववाणी है. मैं भाग्यशाली हूं कि मैंने संस्कृत भाषा में शपथ ले सकी. जो थोड़ी बहुत मैं संस्कृत जानती हूं वो घर में बचपन से विशेष प्रार्थनाएं सुनते आने की वजह से है. इसे प्राइमरी स्तर पर स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए.”
जूही ने उम्मीद जताई कि उनके संस्कृत में शपथ लेने से युवा वर्ग संस्कृत भाषा जानने के लिए प्रेरित होगा और इसे दोबारा मजबूत बनाने में मदद मिलेगी.
3) पिंकी देवी
उधमपुर जिले के लट्टी मारोठी क्षेत्र से निर्वाचित पिंकी देवी ने संस्कृत को प्राचीन भाषा कहा. उन्होंने कहा, “मैंने देवी-देवताओं के लिए अपना आभार जताने के लिए देववाणी (संस्कृत) में शपथ ली. मुझे संस्कृत भाषा बहुत पसंद है.”
पिंकी देवी के पास हिन्दी में मास्टर्स डिग्री है. उनका कहना है कि संस्कृत को दोबारा मजबूत बनाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए लेकिन इसे किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए. पिकी देवी के मुताबिक जो लोग इस महान भाषा को सीखना चाहते हैं उन्हें सरकार की ओर से सुविधाएं और मंच प्रदान किए जाने चाहिए. लेकिन जो नहीं सीखना चाहते उन पर इसे लादना नहीं चाहिए.
4) परीक्षत सिंह
उधमपुर जिले के जगानूं क्षेत्र से डीडीसी सदस्य चुने गए परीक्षत सिंह संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी बताते हैं. सिंह कहते हैं, “ये महान भाषा हमारी संस्कृति, इतिहास और विरासत का अहम हिस्सा है, इसीलिए मैंने इस देववाणी में शपथ ली.”
सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट सिंह के मुताबिक संस्कृत भाषा को इसकी प्राचीन समृद्धता की बहाली के लिए अब वक्त आ गया है. सिंह ने भी स्कूलों में संस्कृत को पढ़ाए जाने की वकालत की.
सिंह ने कहा, “धारा 370 और 35ए निरस्त किए जाने से पहले जम्मू और कश्मीर में उर्दू भाषा का प्रभुत्व था. मैं समझता हूं कि जम्मू-कश्मीर के लोगों पर उर्दू थोपी गई थी. धारा 370 और 35ए हटने के बाद हमने राहत अनुभव की. हम उम्मीद करते हैं कि स्कूलों में संस्कृत पढ़ाई जानी चाहिए. मैं सरकार से स्कूलों में संस्कृत अध्यापकों की नियुक्ति के लिए भी अपील करता हूं.”
5) अभिनंदन शर्मा
कठुआ जिले के हीरानगर क्षेत्र से निर्वाचित सदस्य अभिनंदन शर्मा जम्मू यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएट हैं. उनका मत है कि मिडिल स्तर पर स्कूलों में कम से कम आठवीं कक्षा तक संस्कृत को अनिवार्य विषय बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे अपने क्षेत्र में संस्कृत शिक्षा केंद्र स्थापित करना चाहते हैं. इसके लिए वे जम्मू यूनिवर्सिटी के संस्कृत रिसर्च स्कॉलर्स की मदद लेंगे.
27 साल के शर्मा ने कहा, “भारतीय सभ्यता सबसे पुरानी सभ्यता है. संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है. दुर्भाग्य से ये आज विलुप्त होने के कगार पर है. संस्कृत को वो महत्व दिया जाना चाहिए जिसकी वो हकदार है. संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए मैंने इस महान भाषा में शपथ ली.”
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इस बीच उधमपुर के डिप्टी कमिश्नर डॉ पीयूष सिंगला के मुताबिक जिला प्रशासन ने ऐसे इंतजाम किए थे कि नवनिर्वाचित सदस्य, जिस भाषा में खुद को सहज अनुभव करते हैं, उसमें शपथ ले सकें. सिन्हा ने कहा, “3 सदस्यों ने संस्कृत में शपथ ली. मैं खुश हूं कि कुछ सदस्यों ने पारम्परिक भाषा में ली. ये पंचायती राज संस्थाओं के शक्तिकरण के लिए दिशा बदलने वाला है.” सिन्हा ने उधमपुर के 14 डीडीसी सदस्यों को शपथ दिलाई.
संस्कृत में शपथ लेने वाले पांचों डीडीसी सदस्य बीजेपी के हैं. बीजेपी नेतृत्व ने उनके इस कदम की तारीफ की है. जम्मू और कश्मीर बीजेपी प्रमुख रविंद्र रैना ने कहा, “संस्कृत देववाणी है. हमारी पार्टी के डीडीसी सदस्यों ने संस्कृत में शपथ लेकर मिसाल कायम की है. हमें उन पर गर्व हैं. उन्होंने पार्टी के मूल्यों और विचारधारा को लेकर प्रतिबद्धता जताई है. मैं उन्हें बधाई देता हूं और उनसे अपील करता हूं कि वो लोगों के कल्याण के लिए काम करने में कोई कसर न छोड़ें.”