जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों पर शिकंजा कसता जा रहा है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू एवं कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक और कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटे नसीम गिलानी को टेरर फंडिंग मामले की मौजूदा जांच के तहत पूछताछ के लिए दिल्ली तलब किया था. जिसको लेकर कई पार्टियों ने विरोध जताया है.
हालांकि, मीरवाइज़ NIA के सामने पेश नहीं हुए. NIA के द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, "हुर्रियत कांफ्रेंस ने फैसला किया है कि मीरवाइज एनआईए के सामने नई दिल्ली में पेश नहीं होंगे. इसके बजाय एजेंसी को एक लिखित बयान दाखिल किया जाएगा." एनआईए ने इससे 11 दिन पहले जम्मू एवं कश्मीर में कई अलगाववादी नेताओं के ठिकानों पर छापे मारे थे.
फारूक और गिलानी के आवासों के अलावा, एनआईए ने शीर्ष अलगाववादी नेताओं -जेकेएलएफ के अध्यक्ष यासीन मलिक, जेकेडीएफपी के अध्यक्ष शब्बीर शाह, तहरीक-ए-हुर्रियत के अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ खान, एपीएचसी के महासचिव मसरत आलम, जेकेएसएम के अध्यक्ष अकबर भट्ट के आवासों पर छापे मारे थे.
जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कहा कि वरिष्ठ अलगाववादी व धार्मिक नेता मीरवाइज उमर फारूक को एनआईए का समन 'कश्मीरियों की धार्मिक पहचान पर सरकार के बार-बार हमले का प्रतीक है.'
महबूबा ने ट्वीट किया, "मीरवाइज फारूक कोई सामान्य अलगाववादी नेता नहीं है. वह कश्मीरी मुस्लिमों के धार्मिक व आध्यात्मिक प्रमुख हैं. NIA का उनको समन भेजना भारत सरकार के बार-बार हमारी धार्मिक पहचान पर हमले का प्रतीक है. वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए जम्मू एवं कश्मीर को बलि का बकरा बनाया जा रहा है."
Mirwaiz Farooq isn’t any ordinary separatist leader. He is religious & spiritual head to Kash muslims. NIA summons to him are emblematic of GOIs repeated assaults on our religious identity. J&K is the proverbial sacrificial lamb exploited to divert attention from real issues.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) March 10, 2019
मीरवाइज उमर फारूक को समन भेजे जाने के खिलाफ श्रीनगर के कई व्यापारियों व कारोबारियों ने दो दिवसीय बंद की घोषणा की है. फारूक से सोमवार को 2017 के आतंकवादी फंडिग मामले के संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मुख्यालय में पूछताछ की जाएगी.