scorecardresearch
 

'मुझे जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज़ पढ़ने से रोका गया', बोले हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारूक

मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि पिछले सितंबर में मुझे घर में नज़रबंदी से रिहा किया गया था, वो भी तब जब मैंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन तब से ये एक नियमित प्रक्रिया बन गई है. मुझे कुछ हफ़्तों तक घूमने-फिरने की आज़ादी दी जाती है और फिर अधिकारी मेरे गेट के सामने एक गाड़ी खड़ी करके मुझे घर में नज़रबंद कर दिया जाता है.

Advertisement
X
हुर्रियत चीफ मीरवाइज उमर फारूक (फाइल फोटो)
हुर्रियत चीफ मीरवाइज उमर फारूक (फाइल फोटो)

हुर्रियत चीफ मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि एक तरफ प्रशासन जम्मू-कश्मीर में स्थितियां सामान्य होने का दावा कर रहा है, दूसरी तरफ मुझे धार्मिक और सामाजिक समारोहों में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा रही है. उन्होंने कहा कि आज एक और ऐसी घटना हुई, जब मुझे जामा मस्जिद में जुमे की नमाज़ पढ़ने से रोक दिया गया. 

Advertisement

मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि पिछले सितंबर में मुझे घर में नज़रबंदी से रिहा किया गया था, वो भी तब जब मैंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन तब से ये एक नियमित प्रक्रिया बन गई है. मुझे कुछ हफ़्तों तक घूमने-फिरने की आज़ादी दी जाती है और फिर अधिकारी मेरे गेट के सामने एक गाड़ी खड़ी करके मुझे घर में नज़रबंद कर दिया जाता है. बिना कोई कारण बताए मुझे बस यह बताया जाता है कि मैं बाहर नहीं जा सकता.

मीरवाइज ने कहा कि ये बहुत ही निराशाजनक और तानाशाही है कि मेरी आज़ादी और स्वतंत्रता उनके आदेश पर निर्भर है. एक धार्मिक और सामाजिक व्यक्ति के रूप में मेरी गतिविधियों को पूरी तरह से रोक दिया गया है, जिससे मुझे और इन गतिविधियों से जुड़े लोगों को परेशानी हो रही है. 2 दिन बाद रबी उल अलवाल की 3 तारीख है. परंपरा के अनुसार मुझे "ख्वाजा दीगर" के अवसर पर एक धार्मिक प्रवचन देना है, जिसमें हजारों लोग शामिल होंगे. यह प्रवचन 5 साल के अंतराल के बाद होगा, क्योंकि मैं घर में नजरबंद हूं. ऐसा नहीं लगता कि मुझे एक बार फिर से अनुमति दी जाएगी.

Advertisement

उन्होंने कहा कि सामाजिक मुद्दों पर एक सम्मेलन और एमएमयू बैठक की योजना बनाई गई है, लेकिन अफवाह है कि मुझे जम्मू-कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों के अंत तक हिरासत में रखा जाएगा. यह अधिकारियों की नकारात्मक सोच का प्रतिबिंब है. पिछले कई दशकों से हम बार-बार हजारों युवाओं, राजनीतिक नेताओं, कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, नागरिक समाज के सदस्यों और वकीलों की रिहाई की मांग कर रहे हैं, जो जम्मू-कश्मीर और पूरे भारत में जेलों में बंद हैं, लेकिन इसके बजाय हर दिन अधिक से अधिक लोगों को सताया और हिरासत में लिया जा रहा है. मुझे बताया गया है कि चुनावों के मद्देनजर लोगों, खासकर युवाओं को जमानत बॉन्ड के लिए अपने स्थानीय पुलिस स्टेशनों में आने के लिए कहा जा रहा है. यह एक उत्पीड़न है.

मीरवाइज ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि हज़ारों लोगों को हिरासत में लेकर, जेल में डालकर या घर में नज़रबंद करके, उनकी आज़ादी और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को छीनकर आप तथाकथित "शांति और सामान्य स्थिति" सुनिश्चित नहीं कर रहे हैं. दुर्भाग्य से आप वास्तव में इसे बलपूर्वक लागू कर रहे हैं और लोगों को चुप रहने के लिए डरा रहे हैं, जो लंबे समय तक टिकाऊ नहीं है. इसलिए मेरा सुझाव है कि अगर हमारा सामूहिक उद्देश्य शांति और सामान्य स्थिति है तो इसका समाधान जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं और भावनाओं के साथ राजनीतिक जुड़ाव ही रास्ता है, न कि उदासीनता और बल प्रयोग. बल प्रयोग वास्तव में इसे कमज़ोर करता है. 

Live TV

Advertisement
Advertisement