मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का कहना है कि विस्थापित समुदाय के लिए अलग से बस्तियां नहीं बसाई जाएंगी, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि इस मुद्दे पर केंद्र के नजरिए में कोई बदलाव नहीं आया है. विपक्षी नेशनल कॉन्फ्रेंस, घाटी के नेताओं और अलगाववादी समूहों की आलोचनाओं के बाद सईद ने गुरुवार को विधानसभा में बताया कि घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए अलग से कोई बस्ती नहीं होगी. उन्होंने कहा, 'मैंने केंद्रीय गृह मंत्री को बताया था कि कश्मीरी पंडित घाटी में अलग से नहीं रह सकते और उन्हें एकसाथ रहना होगा.'
विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए अलग टाउनशिप के खिलाफ बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब कश्मीरी पंडितों के लिए शिविर बनाने की योजना थी, तब उनकी राय थी कि उनकी बस्तियां उनके पैतृक स्थानों पर होनी चाहिए.
सईद का यह बयान दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ हुई मुलाकात के बाद आया है. बैठक के बाद उस समय गृह मंत्रालय ने एक सरकारी बयान में कहा था कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार विस्थपित कश्मीरी पंडितों के लिए संयुक्त कस्बे बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण करेगी और भूमि उपलब्ध कराएगी. नेशनल कांफ्रेंस ने इसे राज्य के लोगों को बांटने की नापाक साजिश करार दिया था, जबकि अलगाववादियों ने दावा किया था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ घाटी में गाजा जैसी स्थिति पैदा करने के लिए इजराइल का अनुसरण कर रही है.
'10-15 फीसदी पंडित घाटी में लौटना चाहेंगे'
घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी के मुद्दे पर सीएम सईद ने दावा किया कि केवल 10 से 15 फीसदी विस्थापित कश्मीरी पंडित ही घाटी में लौटना पसंद करेंगे. मुफ्ती ने विधानसभा में कहा कि कश्मीरी पंडितों से हुई बातचीत के आधार पर एकत्रित रिपोर्टों के मुताबिक, उनमें से केवल 10 से 15 फीसदी लोग घाटी लौटना चाहेंगे. उन्होंने घाटी में वापसी चाहने वालों के लिए अनुकूल माहौल बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने कहा, 'कश्मीरी पंडित देश और विदेशों के कई हिस्सों में अच्छी तरह रह रहे हैं. अगर हम इस मामले में कुछ करेंगे तो वे सीजनल पैटर्न पर घाटी में आएंगे.'
मुख्यमंत्री ने कहा, 'वे अच्छे और उच्च योग्यता प्राप्त लोग हैं. कश्मीरी पंडित उग्रवाद शुरू होने से पहले भी कश्मीर के बाहर गए थे. इनमें पीएन हकसर, पी एनधर, डॉ. यू कौल, डॉ. समीर कौल हैं. उन्हें बड़े मंच की और घाटी से बाहर जाने की जरूरत लगी. उन्होंने कहा, लेकिन 1990 में बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित हर जगह से कश्मीर से बाहर गए और हम उन्हें वापस लाने का प्रयास करेंगे.'
उमर ने मुख्यमंत्री पर साधा निशाना
इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद द्वारा विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए टाउनशिप को लेकर राज्य विधानसभा में व्यक्त किए गए रुख पर निशाना साधा है. सईद ने जैसे ही राज्य विधानसभा में अपना बयान पूरा किया, पूर्व मुख्यमंत्री उमर ने ट्वीट किया, 'क्या कोई मुफ्ती साहब को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान घाटी में जगती प्रकार की टाउनशिप को लेकर मुझे दिए हुए उनके जवाब की याद दिलाएगा.'
Will someone please remind Mufti Sb about his answer given to me during Gov. address discussion regarding Jagti type townships in the valley
— Omar Abdullah (@abdullah_omar) April 9, 2015
उमर ने ट्वीट किया, 'उन्होंने साफतौर पर कहा था कि उनकी सरकार का इरादा पंडितों के लिए एकीकरण के बजाय अलग टाउनशिप बनाने का है. राज्य विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए सईद ने कहा था कि उनकी सरकार घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए जगती श्रेणी के फ्लैट बनाएगी.'
He was categorical in his assertion that it is the intention of his Govt to build segregated townships for Pandits rather than integration.
— Omar Abdullah (@abdullah_omar) April 9, 2015
उमर ने कश्मीरी पंडितों की वापसी पर सवाल पूछा था. नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक वरिष्ठ नेता ने पीडीपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी के सत्ता में आने के बाद से हमने केवल रवैया बदलते देखा है, चाहे सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम हो, राज्य का ध्वज हो या अब पंडितों की बात हो.
-इनपुट भाषा