नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 का असर खत्म कर दिया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक संकल्प पेश किया, जिसमें अनुच्छेद 370 के प्रवधानों को हटाने के साथ ही राज्य का विभाजन जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने की जानकारी दी. मोदी सरकार के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि कश्मीर में क्या पत्थरबाजी रुक जाएगी और अलगाववाद की हरकतों पर शिकंजा कसेगा.
जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार ने बकायदा प्री-प्लानिंग के साथ कदम बढ़ाए हैं. सरकार ने पहले आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए UAPA संशोधन बिल को दोनों सदनों से पास कराया. इसके बाद जम्मू-कश्मीर में बड़ी तादाद में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया. अनुच्छेद 370 पर कदम उठाने से पहले जम्मू-कश्मीर के नेताओं को उनके घरों में आधी रात को नजरबंद कर दिया गया. इसके बाद पूरे राज्य में धारा 144 लागू कर दी गई. इसके बाद सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़े फैसले लिए.
मोदी सरकार के फैसले के बाद अलगाववादियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हालांकि सरकार ने पहले ही अलगाववादियों पर नकेल कस रखी थी. जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों की सुरक्षा पूरी तरह से खत्म कर दी गई थी. बड़ी तादाद में अलगाववादियों को जेल में डाल दिया गया. इसके अलावा अलगाववादियों के टेरर फंडिंग की जांच कर उनकी कमर पहले ही तोड़ दी थी. साथ ही कश्मीर की जमात-ए-इस्लामी को आतंकी संगठन घोषित कर प्रतिबंध लगा दिया था.
LIVE: मोदी सरकार ने 370 में जम्मू-कश्मीर को मिले विशेषाधिकार खत्म किए, राष्ट्रपति की मंजूरी
मोदी सरकार द्वारा धारा 370 का असर खत्म कर अलगाववादियों के अस्तित्व को भी पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश की है. जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित राज्य के दर्जा मिलने के बाद अलगाववादियों का मुंह उठाना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में अगर वो किसी तरह से देश के खिलाफ गतिविधियां करते हुए पाए जाते हैं तो उन्हें UAPA कानून के तहत कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. सरकार ने UAPA कानून को काफी कड़ा बना दिया है.
कश्मीर से जुड़ा Article 370 स्थायी है या अस्थायी? जानें संविधान विशेषज्ञों की राय
जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित राज्य बनने के बाद कश्मीर को मिला स्पेशल स्टेट्स पूरी तरह से खत्म हो गया है. ऐसे में बात-बात पर घाटी में सड़कों पर उतरकर पत्थरबाजी करने वालों पर नकेल कसी जा सकेगी. दरअसल अब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार से ज्यादा केंद्र सरकार का दखल होगा. इस तरह से पत्थरबाजों को राजनीतिक संरक्षण भी कम मिलेगा. ऐसे में माना जा रहा है कि पत्थरबाजी में कमी आएगी.