जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कान्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला के खिलाफ बगावत शुरु हो गई है. उमर के खिलाफ बगावत की शुरुआत करने वाला और कोई नहीं बल्कि उनका अपना ही जिगरी दोस्त,पूर्व मीडिया एडवाईजर और राज्य सभा सदस्य, गुलाम नबी रतनपुरी है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेशनल कान्फ्रेंस के राज्य सभा सदस्य गुलाम नबी रतनपुरी एक सोंची समझी चाल के तहत उमर अब्दुल्ला पर वार-पर-वार कर रहे है. जम्मू-कश्मीर में 2002 के विधानसभा चुनावों से पहले रतनपुरी, नेशनल कान्फ्रेंस के नेता, उमर अब्दुल्ला के मीडिया एडवाईजर थे और वह रेडियो कश्मीर, श्रीनगर में सीनियर प्रोड्यूसर थे. उमर ने रतनपुरी को नौकरी से त्यागपत्र दिलवाकर पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर पुलवामा विधानसभा चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़वाया और वे हार गये थे. लेकिन फिर भी उमर ने दोस्ती को निभाया और पार्टी अध्यक्ष और अपने पिता फारुख अबदुल्ला की मर्जी के खिलाफ रतनपुरी को राज्य सभा सदस्य बनवाया.
1984 मे फारुख अब्दुल्ला के जीजा, गुलाम मोहम्मद शाह उर्फ गूल शाह के बाद पहली बार नेशनल कान्फ्रेंस का नेता खुलेतौर पर उमर की आलोचना कर रहा है. रतनपुरी का आरोप है कि अब्दुल्ला सरकार सईद अली शाह गिलानी और अन्य हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेताओं को घरों और जेलों में बंद कर रही है.
रतनपुरी कई बार गिलानी और अन्य कश्मीरी अलगाववादी नेताओ से मिल चुके हैं. इतना ही नहीं कुछ दिन पहले रतनपुरी ने फेसबुक पर लिखा था कि जब भी उमर को किसी केंद्रीय मंत्री का फोन आता है तो वह फौरन अपने उड़न खटोले ( सरकारी जहाज) से दिल्ली पहुंच जाते है.
रतनपुरी के लगातार बयानों के बाद कुछ दिन पहले उमर अबदुल्ला ने एक भाषण में उन्हें सुझाव दिया था कि उन्हें फौरन राज्य सभा सीट से त्याग पत्र दे देना चाहिए क्योंकि रतनपूरी को अपने बलबूते पर विधानसभा चुनाव में करीब 200 वोट मिले थे. उमर ने यहां तक कहा कि अगर रतनपुरी को एक रत्ती भी आत्मसम्मान है तो उन्हें पहले संसद से त्यागपत्र देना चाहिए और फिर फ्री होकर नेशनल कान्फ्रेंस के खिलाफ ब्यानबाजी करनी चाहिए.
लेकिन गुलाम नबी रतनपुरी का कहना है कि वे लोगों के प्रतिनिधि के तौर पर आवाज उठा रहे है. लोग मेरी बात तभी सुन रहे है क्योकि मैं नेशनल कान्फ्रेंस का सांसद हूँ और जब में सदस्यता से ही त्यागपत्र दे दूंगा तो मेरी बात कौन सुनेगा. रतनपुरी का कहना है कि फिलहाल सांसद पद से इस्तीफा देने का उसका कोई इरादा नहीं. है.
रतनपुरी कहते हैं कि वे पार्टी में रहकर ही उमर अबदुल्ला को एक्सपोज करेगे जिसके लिए वे एक मसौदा तैयार कर रहे है. फेसबुक पर अपने ताजा पोस्ट में गुलाम नबी रतनपुरी ने कहा है कि अभी तो शुरुआत ही हुई है आगे-आगे देखो होता है क्या?