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महबूबा मुफ्ती को झटका! जम्मू कश्मीर से AFSPA नहीं हटाएगी मोदी सरकार

सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि गृह और रक्षा मंत्रालय राज्य से अफ्सपा हटाने को तैयार नहीं है. सरकार को लगता है कि जम्मू कश्मीर की सुरक्षा और पाकिस्तान की तरफ से होने वाली घुसपैठ को देखते हुए इस हटाना गलत होगा.

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बीजेपी महासचिव राम माधव और महबूबा मुफ्ती की बुधवार को हुई मुलाकात को बाद जम्मू कश्मीर से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (अफ्सपा) हटाने की अटकलें शुरू हो गई थीं, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ राज्य से अफ्सपा हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.

अफ्सपा को नहीं बनाया जाएगा सरकार बनाने का आधार
सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि गृह और रक्षा मंत्रालय राज्य से अफ्सपा हटाने को तैयार नहीं है. सरकार को लगता है कि जम्मू कश्मीर की सुरक्षा और पाकिस्तान की तरफ से होने वाली घुसपैठ को देखते हुए इस हटाना गलत होगा. बुधवार को खबरें आई थीं कि राम माधव ने महबूबा से मुलाकात में सरकार की तरफ से ट्रायल के आधार पर इस एक्ट को हटाने के संकेत दिए थे. यह साफ कर दिया गया है कि राज्य में सरकार बनाने का आधार अफ्सपा को नहीं बनाया जाएगा.

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महबूबा को दो पावर प्रोजेक्ट्स का प्रस्ताव भी दिया
पिछले महीने पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की मृत्यु के बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने गठबंधन को बनाए रखते हुए बीजेपी के साथ सरकार बनाने के लिए और अपनी पार्टी के आत्मविश्वास को बनाए रखने के लिए बीजेपी के सामने कुछ विशेष मांगें रखी थीं. सूत्रों के मुताबिक, बुधवार को राम माधव ने महबूबा को कहा था कि मोदी सरकार राज्य को दो बड़े पावर प्रोजेक्ट्स भी देने को तैयार है.

अमित शाह ने माधव को सौंपी जिम्मेदारी
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने तीन दिन पहले माधव को यह जिम्मेदारी दी थी कि वह जम्मू एवं कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी सरकार गठन पर चर्चा के लिए महबूबा मुफ्ती से मुलाकात करें. माधव ने महबूबा से मुलाकात कर सरकार बनाने की दिशा में पिछले लगभग डेढ़ महीने के अवरोध को खत्म करने की कोशिश की.

क्या है अफ्सपा
जम्‍मू-कश्‍मीर की सेना को किसी भी व्‍यक्ति को बिना कोई वारंट के तशाली या गिरफ्तार करने का विशेषाधिकार है. यदि वह व्‍यक्ति गिरफ्तारी का विरोध करता है तो उसे जबरन गिरफ्तार करने का पूरा अधिकार सेना के जवानों को प्राप्‍त है.

लेह-लद्दाख में नहीं है लागू
जम्‍मू-कश्‍मीर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) 1990 में लागू किया गया था. राज्‍य में बढ़ रही आतंकी घटनाओं के बाद इस कानून को यहां लागू किया था. तब से आज तक जम्‍मू-कश्‍मीर में यह कानून सेना को प्राप्‍त हैं. हालांकि राज्‍य के लेह-लद्दाख इलाके इस कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं.

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