जम्मू-कश्मीर में रविवार को पीडीपी के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में नई सरकार बनेगी, जिसके साथ ही राज्य में 49 दिनों से चला आ रहा राज्यपाल शासन खत्म हो जाएगा.
राज्यपाल एन. एन. वोहरा रविवार को जम्मू में 79 वर्षीय सईद को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे. शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी शामिल होंगे.
इन नेताओं के अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, बीजेपी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन, बीजेपी सचिव रामलाल, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, बीजेपी महासचिव राम माधव के साथ सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद शपथ ग्रहण में शामिल होंगे.
सईद के साथ शपथ लेने वाले विधायकों में निर्मल सिंह (संभावित उप मुख्यमंत्री), बाली भगत, चंदर प्रकाश गुप्ता, सुखनंदन चौधरी, लाल सिंह और सज्जाद लोन मंत्री पद की शपथ लेंगे. वहीं प्रिया सेठी, दुर्जेय, पवन गुप्ता, सुनील शर्मा और अब्दुल गनी को राज्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी. इनके अलावा स्पीकर पद के लिए नामित कविंदर गुप्ता भी शपथ ग्रहण करेंगे.
आपको बता दें कि सईद ने शनिवार दोपहर गवर्नर वोहरा से मुलाकात की. इसके बाद राज भवन के प्रवक्ता ने बताया कि राज्यपाल ने सईद को नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया है. इससे एक दिन पहले सईद को पीडीपी विधायक दल का नेता चुना गया था.
राजभवन के प्रवक्ता ने कहा, 'बीजेपी-पीडीपी गठबंधन की ओर से दावा पेश करने के मद्देनजर सईद को राज्य में सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है.' सईद जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह सभागार में रविवार को सुबह 11 बजे राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे.
सईद रविवार को शपथ लेने के साथ ही एक दशक बाद फिर से राज्य की सत्ता में वापसी करेंगे. इससे पहले वह जनवरी, 2002 में पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार में मुख्यमंत्री बने थे और तीन साल तक इस पद पर रहे थे.
मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में बनने जा रही इस सरकार में कुल 25 मंत्री शामिल किए जा सकते हैं. इनमें पीडीपी के 12 और बीजेपी के 11 विधायकों के मंत्री बनने की संभावना है.
गौरतलब है कि बीते 23 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे. किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. 28 विधायकों के साथ पीडीपी सबसे बड़ी और 25 विधायकों के साथ बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. नेशनल कांफ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली थीं.
- इनपुट भाषा