राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने टेरर फंडिंग के बड़े अड्डे का पर्दाफाश किया है. इस ऑपरेशन में 36 करोड़ कीमत के हजार-पांच सौ के पुराने नोट बरामद हुए हैं. NIA ने इससे जुड़े 9 लोगों को गिरफ्तार किया है.
शीर्ष सरकारी सूत्रों के अनुसार टेरर फंडिंग के इस अड्डे से ISI के द्वारा संभवत: जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग की जाती थी. NIA ने 36,34,78,500 रुपये के पुराने (नोटबंदी के पहले वाले) नोट बरामद किए हैं. सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा बलों द्वारा एनकाउंटर में जैश के मुखिया मसूद अजहर का भांजा तल्हा इसी संबंध में मारा गया गया है. इस भारी नकदी का इस्तेमाल कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को सक्रिय रखने के लिए किया जाता था.
एनआईए के एक प्रवक्ता ने बताया कि दिल्ली के कनॉट प्लेस इलाके में एजेंसी की एक टीम ने सात लोगों को उस वक्त रोका जब वे चार गाड़ियों - बीएमडब्ल्यू एक्स3, ह्यूंडई क्रेटा एसएक्स, फोर्ड ईकोस्पोर्ट और बीएमडब्ल्यू एक्स1 - में 28 कॉर्टन में भरे 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट लेकर जा रहे थे. उन्हें पूछताछ के लिए एनआईए मुख्यालय लाया गया और उनके पास से अमान्य करार दिए गए नोटों की शक्ल में 36.34 करोड़ रुपये जब्त किए गए. इसके बाद शाम के वक्त गिरोह के तीन अन्य सदस्यों को हिरासत में लिया गया.
प्रवक्ता ने बताया कि कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों की फंडिंग से जुड़े एक मामले की जांच के दौरान एजेंसी को उनकी गतिविधियों के बारे में पता चला. जांच के दौरान यह बात सामने आई कि अलगाववादियों और आतंकवादियों से जुड़े लोगों एवं संगठनों के पास अब भी अच्छी-खासी संख्या में अमान्य करार दिए जा चुके नोट हैं.
अधिकारी ने बताया, 'ऐसे लोगों और संगठनों पर पैनी नजर रखी गई. इससे एक साजिश का पर्दाफाश हुआ, जिसमें ऐसे लोगों के गिरोह अमान्य करार दिए जा चुके नोटों को मान्य नोटों में तब्दील कराने की कोशिश कर रहे थे.'
NIA ने जिन लोगों को प्रतिबंधित नोट के मामले में गिरफ्तार किया है वो अलग-अलग राज्यों के रहने वाले हैं...
1.प्रदीप चौहान (47 साल) जो सराय काले खान का रहने वाला है
2. भगवान सिंह (54 साल) ये सैनिक फार्म के रहने वाले हैं
3. विनोद श्रीधर (47 साल) शांति नगर, मुंबई
4. शाहनवाज मीर (45 साल) जम्मू-कश्मीर
5. दीपक टॉपरानी (60 साल) मुंबई, महाराष्ट्र
6. माजिद यूसुफ सोफी अनंतनाग, जम्मू-कश्मीर
7. एजाजुल हसन, अमरोहा, यूपी
8. उमर मुस्ताक, पुलवामा, कश्मीर
9. जशविन्दर सिंह, नागपुर
गौरतलब है कि आतंकवाद और सीमा पार से आने वाली फंडिंग पर अंकुश के मामले में नोटबंदी काफी कारगर साबित हुई है. नोटबंदी के बाद सरकार ने आतंकवादियों के फंडिंग की कमर तोड़ दी है, तो दूसरी तरफ जमीन पर सुरक्षा बल आतंकियों के खात्मे के लिए ताबड़तोड़ अभियान चला रहे हैं. इस तरह के कई मोर्चों पर हमले करने वाली रणनीति से सरकार को आतंकी नेटवर्क को कमजोर
करने में मदद मिली है.