जम्मू कश्मीर सरकार ने ऐलान किया है कि अब राज्य में किसी भी राजनीतिक बंदी या आंतकवादी को रिहा नहीं किया जाएगा . अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई से पीडीपी-बीजेपी गठबंधन में बढ़े तनाव और संसद में हंगामे के मद्देनजर मंगलवार को राज्य सरकार ने यह ऐलान किया है.
मसरत आलम की रिहाई के फैसले का बचाव करते हुए जम्मू कश्मीर के गृह सचिव सुरेश कुमार से कहा, 'मसरत आलम के खिलाफ लोक सुरक्षा कानून के तहत दोबारा कोई मामला नहीं बनता, इसलिए उसे रिहा किया गया.' उन्होंने कहा, 'किसी को पीएसए के तहत हिरासत में रखने की सीमा होती है. आप उसे ज्यादा से ज्यादा छह-छह महीने की दो अवधि तक हिरासत रख सकते हैं.'
कुमार ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार आप किसी को एक आरोप में बार बार हिरासत में नहीं रख सकते. अगर आपने ऐसा किया है तो उसके खिलाफ नए आरोप होने चाहिए.'
गौरतलब है कि मामले में उठे विवाद के बीच जम्मू कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की और उन्हें आलम की रिहाई को लेकर उठे विवाद के मद्देनजर राज्य के हालात से अवगत कराया.
भाषा से इनपुट