केंद्र शासित जम्मू कश्मीर को पहली सरकार मिल गई है. 10 साल बाद जम्मू कश्मीर को निर्वाचित सरकार मिली है और उमर अब्दुल्ला इसके मुख्यमंत्री बने हैं. उमर अब्दुल्ला ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. शपथ ग्रहण समारोह डल झील के किनारे शेर-ए-कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सेंटर में हुआ जिसमें सीएम उमर के साथ ही पांच मंत्रियों ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. शपथ लेने वाले सभी पांचों मंत्री नेशनल कॉन्फ्रेंस कोटे के ही हैं.
उमर मंत्रिमंडल के शपथग्रहण में कांग्रेस के किसी विधायक ने मंत्री पद की शपथ नहीं ली. इसके पीछे मंत्री पद को लेकर खींचतान को वजह बताया जा रहा है. कांग्रेस दो मंत्री पद मांग रही थी जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस एक देने को तैयार थी. उमर मंत्रिमंडल में पहले सीएम समेत 10 मंत्रियों के शपथ लेने की खबर थी लेकिन बाद में पांच प्लस एक के फॉर्मूले के साथ सरकार का गठन हुआ.
ये नेता बने मंत्री
जम्मू और कश्मीर की सरकार में सीएम उमर के अलावा पांच मंत्री बनाए गए हैं. जिन नेताओं ने सीएम उमर के साथ मंत्री पद की शपथ ली है, उनमें सतीश शर्मा, सुरेंद्र चौधरी, सकीना येट्टू, जावेद डार और जावेद राणा के नाम शामिल हैं. उमर मंत्रिमंडल में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना को पटखनी देने वाले सुरेंद्र चौधरी और सतीश शर्मा के रूप में दो हिंदू चेहरे भी हैं.
रीजन बैलेंस के लिए ये फॉर्मूला
उमर मंत्रिमंडल के गठन में कश्मीर घाटी के साथ ही चिनाब घाटी और जम्मू रीजन का बैलेंस साधने की कवायद भी साफ नजर आ रही है. नेशनल कॉन्फ्रेंस को जिस कश्मीर घाटी से सबसे अधिक सीटें मिली हैं, उस रीजन से उमर सरकार में दो मंत्री बनाए गए हैं. जम्मू रीजन से भी दो और चिनाब घाटी के इलाके से भी एक नेता को मंत्री बनाया गया है.
सीएम समेत हो सकते हैं 10 मंत्री
एक विधायक वाली आम आदमी पार्टी से लेकर छह विधायकों वाली कांग्रेस तक, सबकी अपनी डिमांड थी. अरविंद केजरीवाल अपने इकलौते विधायक को जिम्मेदारी देने की अपील कर रहे थे. वहीं, कांग्रेस भी दो मंत्री पद की डिमांड कर रही थी. अब उमर अब्दुल्ला ने कैबिनेट में चार बर्थ खाली रखी है तो इसे कांग्रेस के लिए स्पेस बचाए रखने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 के मुताबिक इस केंद्र शासित प्रदेश में मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की संख्या विधानसभा की स्ट्रेंथ के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती. जम्मू कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों के लिए चुनाव हुए थे और उपराज्यपाल की ओर से पांच विधायकों के मनोनयन को भी जोड़ लें तो सदन की स्ट्रेंथ 95 पहुंचती है. 10 फीसदी वाली कैप भी है, ऐसे में मंत्रिमंडल में सदस्यों की कुल संख्या 9.5 यानि अधिकतम 10 ही हो सकती है..
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नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजों में नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. नेशनल कॉन्फ्रेंस को 90 में से 42 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी जबकि छह सीटों पर उसकी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के उम्मीदवार जीते थे. एक सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की सहयोगी सीपीएम को जीत मिली थी.
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तीनों दलों के इस चुनाव पूर्व गठबंधन को 49 सीटों पर जीत के साथ पूर्ण बहुमत मिला था. वहीं, चार निर्दलीय विधायक भी उमर सरकार के समर्थन का ऐलान कर चुके हैं. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी डोडो से पार्टी के इकलौते विधायक को जिम्मेदारी देने की उमर अब्दुल्ला से अपील कर समर्थन के संकेत दिए थे.