रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सोमवार को केंद्र सरकार ने कहा है कि कुछ रोंहिग्या शरणार्थियों का पाकिस्तान समर्थित आतंकियों से संपर्क है, इसलिए वह देश के लिए खतरा हैं. लेकिन केंद्र के इस तर्क पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सवाल खड़े किए हैं.
अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा है कि यह एक खतरा, अगर ऐसा है तो जम्मू-कश्मीर में ऐसा 2014 के बाद ही हुआ होगा. पहले तो यूनिफाइड हेडक्वार्टर मीटिंग में इस तरह की कोई इंटेलिजेंस रिपोर्ट सामने नहीं आई.
This threat, at least in J&K, is a post 2014 development. No such intelligence reports ever came up for discussion in Unified HQ meetings. https://t.co/xLM0qWQBXL
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) September 18, 2017
गौरतलब है कि सोमवार को रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की योजना पर केंद्र सरकार ने 16 पन्नों का हलफनामा दायर किया है. इस हलफनामे में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क का पता चला है. ऐसे में ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरा साबित हो सकते हैं.
केंद्र ने अपने हलफनामे में साथ ही कहा, 'जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय रोहिंग्या शरणार्थियों के आतंकी कनेक्शन होने की भी खुफिया सूचना मिली है. वहीं कुछ रोहिंग्या हुंडी और हवाला के जरिये पैसों की हेरफेर सहित विभिन्न अवैध व भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए.'
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा कि कई रोहिंग्या मानव तस्करी में भी शामिल पाए गए. वे बिना किसी दस्तावेज के एजेंटों की मदद से म्यांमार सीमा पार कर भारत आ गए और फिर यहां पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे भारतीय पहचान पत्र बनवाकर यहां अवैध तरीके से रह रहे हैं. केंद्र ने साफ किया कि इन अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को देश के नागरिकों जैसे अधिकार नहीं दिए जा सकते.